E.55 सत्रहवें अध्याय: तीन प्रकार की पूजा, भोजन, तपस्या व दान
E.54 अध्याय सोलहवाँ: दैवी और आसुरी स्वभाव का प्रभाव
E.53 परम पुरूष
E.52 संसार एक वृक्ष है
E.51 आत्मानुभूति, स्रष्टि चक्र व भगवन द्वारा स्वयं का यथार्थ् ज्ञान