ईद उल अजहा का पैगाम (कविता)

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सबसे पाक है अल्लाह ताला, परवरदिगार
बताता कैसे मनाएं ईद उल अजहा त्यौहार
क़ुर्बानी, अमन, दृढ़ता का देता पैगाम
खुशियां मनाता समुदाय ख़ास और आम

अल्लाह ने बख्शी जब इस्माइल की जान
किए जाने लगे अनगिनत बकरे कुर्बान
खुदा तो करते सबका भला ए रूहानी
फिर क्यों दी जाती इस बेज़ुबान की क़ुर्बानी?

सबसे पाक है अल्लाह ताला, परवरदिगार
बताता कैसे मनाएं ईद उल अजहा त्यौहार
क़ुर्बानी, अमन, दृढ़ता का देता पैगाम  
खुशियां मनाता समुदाय ख़ास और आम
अल्लाह ने बख्शी जब इस्माइल की जान
किए जाने लगे अनगिनत बकरे कुर्बान
खुदा तो करते सबका भला ए रूहानी
फिर क्यों दी जाती इस बेज़ुबान की क़ुर्बानी?
खुदा तो है नूर ए इलाही, हमारा रहनुमा
वो बनाते दोजख को जन्नत, हमें खुशनुमा
क़यामत के दौर में रूहों को जगाते कब्र से
वही सुना रहे बकरीद का राज़, सुनें सब्र से
आदम (ब्रह्मा) के तन का लेकर वो आधार
बना रहे हम ऐबों से लबरेज़ रूहों को सदाबहार
अल्लाह को प्यारी है जिस्म के गुरूर की कुर्बानी
वो खुदा तो हम रूहों के वालिद हैं नूरानी
खूबियों से मुकम्मल बनना ही सच्ची ईद
रूह समझ, मुकम्मल करें जन्नती ताकीद


खुदा तो है नूर ए इलाही, हमारा रहनुमा
वो बनाते दोजख को जन्नत, हमें खुशनुमा
क़यामत के दौर में रूहों को जगाते कब्र से
वही सुना रहे बकरीद का राज़, सुनें सब्र से

आदम (ब्रह्मा) के तन का लेकर वो आधार
बना रहे हम ऐबों से लबरेज़ रूहों को सदाबहार
अल्लाह को प्यारी है जिस्म के गुरूर की कुर्बानी
वो खुदा तो हम रूहों के वालिद हैं नूरानी

खूबियों से मुकम्मल बनना ही सच्ची ईद
रूह समझ, मुकम्मल करें जन्नती ताकीद


बीके योगेश कुमार, नई दिल्ली

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