परमात्मा☝का परिचय

Table of Contents

परमात्मा☝का परिचय

प्राय: सभी मनुष्य परमात्मा ​को ‘हे पिता’, ‘हे दु:खहर्ता और सुखकर्ता प्रभु’, (O Heavenly God☝Father) इत्यादि सम्बन्ध-सूचको शब्दों से याद करते है। परन्तु यह कितने आश्चर्य की बात है कि जिसे वे ‘पिता’ कहकर पुकारते हैं।
उसका सत्य और स्पष्ट परिचय उन्हें नहीं है । परिचय और स्नेह -सम्बन्ध न होने के कारण परमात्मा को याद करते समय भी उनका मन एक ठिकाने पर नहीं टिकता। इसलिए उन्हें परमपिता परमात्मा🌟से शान्ति तथा सुख का जो जन्म-सिद्ध अधिकार प्राप्त होना चाहिए वह प्राप्त नहीं हो पता है।

✦ आज दुनिया में सभी धर्म वाले भगवान को अपनी-अपनी रीति से मानते हैं, याद करते हैं।

✦ परमात्मा के बारे में अनेक मत मतान्तर हैं जैसे :-

◆ आत्मा ही परमात्मा हैं।
◆ भगवान सबके अंदर हैं।।
◆ देवी- देवतायें भगवान के ही रूप हैं। हनुमान भगवान हैं राम भगवान हैं, श्री कृष्ण भगवान हैं।
फिर हम कहते ईश्वर या भगवान एक है।
◆ कई कहते परमात्मा नाम रूप से न्यारा हैं।


अब नाम रूप से न्यारा हैं तो हम इतनी पूजा भक्ति करते ……

HD Geeta Bodh Parmatma Sakshatkaar Hindi 08

कहते अँखिया हरी दर्शन की प्यासी ।

फिर भगवान का नाम रूप नही तो दर्शन किसका होगा।
तो न नाम रूप से न्यारा हैं ना कोई शरीर धारी हैं तो भगवान क्या हैं।

◆ अब सत्य क्या है। क्या ये सब भगवान हैं या भगवान कोई और हैं। आइये आज हम आपको परमात्मा के बारे में बताते हैं।

✦ आपने भी परमात्मा को याद किया होगा, और आपके मन में प्रश्न होगा कि असल में परमात्मा कौन है, क्या है, उनका रूप क्या है, कहाँ रहते हैं ??

qualification copy - Geeta Ka Bhgwan

आज हम आपके सभी प्रश्नो का उत्तर दे आपको परमात्मा का सही परिचय देगें।

■ परमात्मा ☝​के परिचय में निम्न 5 बातें जानना बहुत जरुरी है।

  1. परमात्मा का स्वरुप
  2. परमात्मा का नाम
  3. परमात्मा के गुण
  4. परमात्मा का निवासस्थान
  5. परमात्मा के कर्तव्य

1. परमात्मा का स्वरुप

जैसे मनुष्य का पिता मनुष्य है उसी प्रकार किसी पशु को ले लें तो पशु का पिता कैसा होगा जैसा वो वैसा उसका बच्चा होगा ।

✦ ऐसे ही मैं आत्मा हूँ वो परमात्मा है। तो आत्माओं के परमपिता परमात्मा🌟भी एक आत्मा है।

✦ जैसा स्वरूप आत्मा का है वैसा ही उसके पिता परमात्मा का स्वरूप भी है।

✦ आत्मा का स्वरूप क्या है-ज्योतिबिंदु रूप। तो परमात्मा का स्वरूप भी आत्माओं की तरह ज्योतिबिंदु रूप है।

Paramdham shiv parmatma truegyantree

✦ परमात्मा में दो शब्द हैं परम और आत्मा। उन्हें परम कहते है क्योंकि सबसे परम है, एक ही है , ऊँच है।
उन्हें ही गॉड ☝​भगवान कहते है।

✦ परमात्मा का अर्थ आकार से नहीं लेकिन परम का अर्थ, सर्वश्रेष्ठ है।

✦ भारत में परमात्मा की पूजा ज्योतिर्लिंगम के रूप में करते हैं लिंग अर्थात आकृति चिन्ह ज्योतिर्लिंगम् का अर्थ है जिसका आकार ज्योति स्वरूप🔥है। ज्योति स्वरूप होने के कारण ही परमात्मा को निराकार कहा गया है।

निराकार💧का अर्थ शाब्दिक नहीं है शाब्दिक अर्थ लिया जाए तो उसका यह अर्थ निकलेगा की उनका कोई आकार नहीं है, परंतु ऐसा नहीं है परमात्मा का यह रुप का एक अर्थ है उन्हें अपना शरीर नहीं है इसलिए उन्हें अशरीरी कहा जाता है। निराकार शब्द साकार की तुलना में प्रयुक्त हुआ है।

✦ निराकार ज्योतिबिंदु रूप और बिंदु का कोई माप थोड़े ही होता है, बिंदु ना तो आयताकार है ना वर्गाकार है ना वृत्ताकार है और ना ही उसका अन्य कोई आकार है बल्कि रेखागणित के अनुसार भी निराकार ज्योति बिंदु रूप कहना ही ठीक है।

✦ परमात्मा का यह रूप अपरिवर्तनीय है और सूक्ष्म अति सूक्ष्म होने के कारण अविनाशी भी है और अविभाज्य भी है।

परमात्मा का कौनसा स्वरुप है जिसे सभी धर्म की आत्माये स्वीकार करती है।

HD Geeta Bodh Parmatma Sakshatkaar Hindi 10

हिन्दू धर्म

✦ अब देखिए ज्योति की पूजा कोई कैसे करें तो मानव ने पूजा करने के लिए और अपनी श्रद्धा को व्यक्त करने के लिए इसे एक आकार दे दिया इसलिए ज्योति स्वरुप परमात्मा का यादगार ज्योतिर्लिंगम🔥है इसको ही बाद में हिन्दू धर्म में शिवलिंग कहा गया।

HD Geeta Bodh Parmatma Sakshatkaar Hindi 12

इस्लाम धर्म

✦ इस्लाम धर्म में मूर्ति पूजा नहीं होती है, वो किसी देहधारी 👫को परमात्मा नहीं मानते है और जब हज की यात्रा पर मक्का जाते है तो बाहर एक गोल पत्थर है जिसे संग-ए-असवद कहते है उसे चूम कर ही अंदर जाते है और बाद में अंदर जा कर कहते है

हे परवरदिगार ‘हे नूरे , इलाही मेरी हज कबूल करो

‘नूरे इलाही मतलब परमात्मा को लाइट या प्रकाश के रूप में याद किया।

HD Geeta Bodh Parmatma Sakshatkaar Hindi 13

ईसाई धर्म

✦ ईसाई धर्म में भी हजरत मूसा ने परमात्मा को ‘ जेहोवा ‘ कहा जिसका मतलब है परमप्रकाश (point of light)। क्राइस्ट ने भी God को light कहा है उन्होने कहा है कि

गॉड इज लाइट, आई एम सन आफ गॉड

HD Geeta Bodh Parmatma Sakshatkaar Hindi 14

सिख धर्म

✦ सिख धर्म में भी किसी भी देहधारी👴को परमात्मा नहीं कहा है उन्होंने कहा

“नानक एको सिमरिए जो जल थल रहे समाय दूजा कोई ना पूजिए जो जम्मे ते मर जाए”

जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु होगी वह परमात्मा नहीं है, उसे पूजने का भी कोई लाभ नहीं याद करना है पूजना है तो उस निराकार परमात्मा ज्योति बिंदु रूप को ही याद करो।

गुरु सहिबान कहते हैं:-

“जोत में जोत, जोत है, सोइ तीसदे चानन सब में चानन होए गुरुसाखी जोत प्रगत होए”

चानन मतलब उजाला, साखी मतलब साक्षी

बौद्ध धर्म

God is One

✦ बौद्ध धर्म में महात्मा बुद्ध ने भी कभी मूर्ति पूजा के लिए किसी को प्रेरित नहीं किया। वह स्वयं ध्यान मुद्रा में हैं तो किसका ध्यान कर रहे हैं। किसकी तपस्या कर रहे हैं। आज भी जापान चले जाएं तो वहां शिन्टाईज़म संप्रदाय वाले 3 फुट की ऊंचाई पर स्थापित किया हुआ और 3 फुट दूर एक थाली के अंदर लाल पत्थर रखते हैं इसे कहते हैं “काबा का पवित्र पत्थरबिल्कुल निराकार ज्योतिर्लिंग आकार का है और उसको उन्होंने कहा “चिनकुनशेकी“। चिनकुनशेकी अर्थात ‘जो शांति का दाता है‘। जिसका ध्यान करने से हमें शांति मिलती है इसलिए वह उसके सामने बैठकर मैडिटेशन करते हैं।

पारसी धर्म

✦ पारसी धर्म पारसी लोग जब ईरान से भारत आए थे तो जलती हुई ज्योति🔥को साथ ले आए थे और उनके मंदिर को “अग्यारी” कहा जाता है जहां यह अखंड ज्योत जलती रहती है और आज भी जब उनकी कोई नई अग्यारी स्थापित होती है तो जलती हुई ज्योत का एक टुकड़ा ले जाकर वहां स्थापित करते इसलिए उनकी अग्यारी को ‘फायर टेंपल’ कहते है।

सार:- तो इससे हमे पता चला की सभी धर्मो की मनुश्यात्माओं ने परमात्मा को ज्योतिबिंदु रूप ही माना

◆ हिन्दू लोग कहते है ‘जोतिर्लिंगम

◆ मुस्लिम लोग कहते है नूर, अल्लाह

◆ क्रिश्चियन कहते है जेहोवा जिसका मतलब है point of light

◆ सिख धर्म में भी मानते हैं कि परमात्मा परमज्योति स्वरुप, स्वप्रकाश स्वरुप, ओंकार, आदि कहा गया।

2. परमात्मा का नाम

◆ अब अगर रूप है तो नाम भी होगा नहीं तो हम उसको याद कैसे करेंगे।

◆ जैसे आत्मा को संबोधित करने के लिए भी तो एक नाम है, तो परमात्मा जब स्वयं आकर अपना परिचय देते है तो वो अपना नाम भी बताते है।

HD Geeta Bodh Parmatma Sakshatkaar Hindi 11

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।

अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ।।

परित्राणाय साधूनाम् विनाशाय च दुष्कृताम् ।

धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ।।

श्रीमद् भगवद्गीता के अध्याय 4, श्लोक 7 का श्लोक है

◆ परमात्मा का जो नाम है वो उनके गुणों के आधार से है और जो स्वरूप है उस आधार से उनका नाम हैं।

Incorporeal-Shiv-with-three-line truegyantree

◆ हम आत्माओं के नाम तो हमारे माता पिता ने रखा है

परंतु परमात्मा का स्वयं घोषित किया हुआ नाम है “शिव”

शिव क्यों क्योंकि ??

  • ✦ शिव का अर्थ है बीज (सीड ऑफ नॉलेज) उसके अंदर सारी सृष्टि की नॉलेज है।
  • ✦ शिव अर्थात ‘शांति
  • ✦ सदाशिव अर्थात ‘सदा कल्याणकारी‘ वह कभी किसी का अकल्याण नहीं कर सकता है ।

✦ जब हम शिव कहते हैं तो इसका किसी धर्म के साथ ना जोड़ा जाए क्योंकि हिंदू धर्म में हम जैसे शिव-शंकर मानकर याद करते हैं लेकिन जब हम शिव कहते हैं तो शिव उस परमात्मा ज्योतिस्वरूप का खुद घोषित किया नाम है। इसलिए हम शंकर जी की जो मूर्ति है उसके साथ उसको नहीं जोड़े, शंकर जी देवता हैं।

HD Geeta Bodh Parmatma Sakshatkaar Hindi 03

✦ शिव अर्थात ज्योति स्वरूप और क्योंकि वह मेरे पिता है जैसे परिवार में घर के बड़े को बाबा कहकर संभोधित करते है उसी प्रकार उनको हम शिव बाबा कहकर कहकर याद करते हैं। तो बाबा कोई देहधारी नहीं बल्कि निराकार💧ज्योति स्वरुप परमात्मा शिवबाबा है।

शिव ही परमात्मा हैं उनको “5 “बातो की कसौटी से परखा जा सकता है।

1.सर्वधर्ममान्य (जिसे हर धर्म वाले ईश्वर के रूप में स्वीकार करे)

◆ हर धर्म में ज्योति स्वरूप “शिव” का स्थान पहला है…श्रीराम ने पूजा की वो भी शिव की, श्रीकृष्ण ने भी शिव की पूजा की, गुरुनानक जी ने ओंकार की महिमा की, जिसे हिन्दू धर्म में शिव आरती में गाते है “जय शिव ओमकारा“, मुस्लिम भाई संग -ए- असवद जो शिव की प्रतिमा के आकार का है वहां सर झुकाते है।

2.सर्वोच्च (जिसके ऊपर और कोई शक्ति न हो, जिसका कोई माता -पिता ,गुरु-शिक्षक आदि न हो)

God - The Universal Light

◆ इसलिए शिव के साथ एक शब्द जुड़ता है- शिव शम्भू । शम्भू अर्थात स्वयंभू। स्वयंभू का अर्थ है जो स्वयं प्रकट हुआ है ,उनको उत्पन्न करने वाला कोई माता- पिता ,गुरु -शिक्षक आदि नहीं हैं।

3.सर्वोपरी (जो सभी चक्रों से ऊपर है)

◆ जन्म-मृत्यु ,सुख-दु:ख, पाप-पुण्य सभी चक्रों से परे हैं । जो अजन्में हैं ,कालों के काल महाकाल है, देवो के देव महादेव शिव है।

4. सर्वशक्तिमान

◆ जो सभी देवी देवताओं , धर्म पिताओं ,सभी भौतिक अभौतिक शक्तिओं , प्रकृति के तत्वों आदि सभी से शक्तिशाली, सर्व आध्यात्मिक शक्तियों से भरपूर जिससे सभी प्राप्त करते हैं, परमात्मा किसी से प्राप्त नहीं करते हैं।

रेखागणित वा ज्योमेट्री (Geometry) के अंतर्गत जब एक बिंदु लगाया जाता है तो उस बिंदु की व्याख्या है –अनन्त (infinite)।

विज्ञान 🚀में सबसे सूक्ष्म अणु को माना जाता है और जितनी बार एटम को फ्यूज (fuse)करो उतनी बार वह अधिक शक्तिशाली हो जाता है इसलिए गीता में भगवान ने कहा-

‘हे अर्जुन, मैं सूक्ष्म से भी अति सूक्ष्म अणु से भी सूक्ष्म हूँ ‘

इसलिए परमात्मा सर्वशक्तिमान है।

5. सर्वज्ञ (सब कुछ जानने वाला।)

◆ परमात्मा सृष्टि के आदि-मध्य-अंत का ज्ञान देते। मनुष्यो को एक सेकंड आगे ही नही पता क्या होगा। इसलिए परमात्मा को सर्वज्ञ कहते है।
◆ इन्हें त्रिमूर्ति भी कहते हैं क्योंकि वह ब्रह्मा विष्णु और शंकर के भी रचयिता है।

Ved Puranas Truegyantree

यजुर्वेद

■ वेद में यजुर्वेद (16/41 )तथा उपनिषदों में मुंडक उपनिषद्( 7 )इत्यादि वाक्यों के आधार पर भी लोग परमात्मा का नाम “शिव” मानते हैं। उपनिषद के इस वाक्य में कहा गया है कि परमात्मा को इंद्रियों द्वारा देखा या ग्रहण नहीं किया जा सकता ,वह अचिंत्य है और अद्वितीय है ,जानने योग्य है उसका नाम ‘शिव’ है।

HD 05. Satya pahchaan copy Geeta Ka Bhgwan

गीता

■ गीता 📕 (17/23,8/13 और 9/17) में उनके लिए ‘ओंकार‘ नाम भी आया है। भारत में ओंकारेश्वर नाम से जो भी मंदिर है वह भी शिव ही का है ।

‘ओम’ शब्द को बहुत से लोग ब्रह्मा, विष्णु और शंकर के रचयिता का वाचक मानते हैं। अतः शिव त्रिमूर्ति हैं वह देव -देव है (10/15 गीत)। [त्रिमूर्ति शिव जयंती का अध्यात्मिक रहस्य]

गीता में उन्हें प्रभविष्णु (ब्रह्मा), ग्रसिविष्णु (शंकर) तथा भर्तु (विष्णु ) तीनों द्वारा कार्य करवाने वाला ज्योतियों की भी ज्योति कहा है। (गीत 13/17)

परमात्मा ☝​अमूल्य (अनमोल), अप्रमाण, अगोचर, आदि मध्य अंत रहित, नित्य निर्मल, ज्योतिस्वरूप, अशरीरी, अजन्मा, अभोक्ता, अहिंसक है, कल्याकारी, परम पूज्य, परम पिता, मंगलकारी है।

3. परमात्मा के गुण

✦ जैसे आपको बताया की आत्मा के सात गुण है। पवित्रता, प्रेम, शांति, सुख, ज्ञान, आंनद, शक्ति । ( आत्मा का अम्पूर्ण ज्ञान Read here )

✦ वैसे ही परमात्मा इन सात गुणों के सागर है।

◆ परमात्मा ज्ञान का सागर है।
◆ परमात्मा शांति का सागर है।
◆ परमात्मा आनंद का सागर है।
◆ परमात्मा सुख का सागर है।
◆ परमात्मा पवित्रता का सागर है।
◆ परमात्मा शक्तियों का सागर है।
◆ परमात्मा प्रेम का सागर है।

✦ “परमात्मा रुप में बिंदु और गुणों में सिंधु ” अर्थात परमात्मा रूप ज्योतिबिंदु स्वरुप है लेकिन गुणों से भरपूर है। आत्मा में एक गुण ज्यादा और दूसरा कम हो सकता है, लेकिन परमात्मा तो सदाकाल सभी गुणों से भरपूर रहते है।
तालाब या नदी में पानी की मात्रा कम और ज्यादा हो सकती है लेकिन जो सागर (ocean) में कभी पानी कम नहीं होता।

4. परमात्मा का निवास स्थान

✦ आज भी हम दु:खी होते है तो मदद के लिये ऊपर की ओर देखते है। गुरुनानक साहेब, क्राइस्ट, साईबाबा सबकी ऊँगली ☝ ​ऊपर की तरफ दिखाते है।

✦ परमात्मा का निवास इस भौतिक जगत से बहुत ऊपर है जहाँ शांति का साम्राज्य है l पदार्थ और विचारों के क्षेत्र से परे यह एक पदार्थ रहित, स्थान रहित, मापरहित स्थल है। यह सर्वाधिक पवित्र व सर्वोत्तम स्थल है।

परमात्मा सर्वव्यापी नही है। पत्थर ठिक्कर आदि में नही है।

truegyantree, supremsoul shiva, brahma kumaris
✦ उनका निवास स्थान परमधाम हैं। इसे परलोक, ब्रह्मलोक, शिवपुरी, मुक्तिधाम, शान्तिधाम, निर्वाणधाम, सचखण्ड, शिवधाम, सातवाँ आसमान आदि नामों से पुकारा गया है।

✦ परमधाम इस स्थूल दुनिया से परे, सूर्य 🌞 चाँद🌙से भी पार है।

✦ विज्ञान भी मानता है कि आकाश से ऊपर एक ऐसा स्थान है जहाँ बहुत ऊर्जा है, जहां से सृष्टि को ऊर्जा मिलती है। यही स्थान है परमात्मा के रहने का, चांद सितारो🌘से भी पार।

HD Parmata Koon 02 Geeta Ka Bhgwan

5. परमात्मा का कर्तव्य

कोई कहता है परमात्मा की मर्ज़ी के बिना पत्ता 🍃 भी नही हिलता इसलिए दु:ख का कारण वही है।

एक छोटा बच्चा काँच की वस्तु व जो नुकसान पहुँचाये ऐसी वस्तु से खेलता हो तो, उसकी माँ तुरंत उसके हाथ से वो वस्तु छीन लेती है। क्योंकि उसे बच्चे की फ़िक्र है।तो क्या परमात्मा जिनके हम सब बच्चे है वो हमे दुःख, बीमारी दे सकते है ??

परमात्मा क्या करते हैं।

” कई बार हम कह देते सब कुछ भगवान ही तो करता हैं।”

✦ किसी के घर में कोई घटना हो गई। बहुत किसी के साथ बुरा हो गया। हम कहते भगवान ने इसके साथ बहुत बुरा किया। कई बार सुनते हम ऐसा। भगवान ने इनके साथ इतना बुरा नही करना चाहिए था।

लेकिन वास्तव में भगवान कहते ये सब मैं नही करता हूँ। अगर भगवान किसी का बुरा करें तो उसे भगवान ही कौन कहे।बुरा करने वाले की तो हम शक्ल भी देखना पसंद नही करते और भगवान की तो एक झलक पाने के लिए इतना तरसते हैं। भगवान बुरा करे, तो उससे मिलने के लिए हम क्यों तरसते हैं।

भगवान कभी किसी का बुरा नही करता। ये जो बुरा हुआ ये कोई न कोई हमारे ही कर्म का फल हैं। भगवान को दोष नही देना चाहिए। भगवान ये सब नही करता।

HD Geeta Bodh Parmatma Sakshatkaar Hindi 05

✦ कई बार हम कह देते भगवान की मर्जी के बिना तो एक पत्ता🍃भी नही हिल सकता।ये भी बोलते हैं। अब भगवान कहते ये भी मैं नही करता। अगर सबकुछ मैं करता तो दुनिया में इतना पाप ,भ्रस्टाचार हो रहा, चोरी हो रही, कोई मार रहा तो क्या ये सब मैं करा रहा हूँ। अगर ये सबकुछ भगवान कराये तो उसका फल भी भगवान भोगे फिर मनुष्य दुःखी क्यों।भगवान कहता ये सब भी मैं नही करता।

✦ कई जगह प्राकृतिक आपदाएं आ गयी, बाढ़ आ गयी ,भूकम्प आ गया तो भी हम भगवान को दोष देने लग जाते हैं।भगवान कहते ये भी मैं नही करता ये भी प्रकृति का काम हैं मेरा काम नही है।

तो भगवान क्या करता हैं ???

भगवान कहते मैं वो कार्य करता हूँ जो कोई मनुष्य आत्मा नही करती। वो कार्य क्या हैं। वो हैं
◆ आज की इस बिगड़ी हुई दुनिया को नई बनाना।
◆ इस पतित दुनिया को पावन बनाना।
◆ इस दु:खधाम को सुखधाम बनाना।
◆ पाप आत्माओं को देव आत्मा बनाना।

ये कार्य कोई मनुष्य कर सकता हैं ??
ये कार्य परमात्मा करता हैं।

तब कहते – ” ऊँचा तेरा नाम ,ऊँचा तेरा धाम ,ऊँचा तेरा काम “

ये कार्य कोई भी नही कर सकता। चाहे कोई महान आत्मा हो चाहे कोई भी हो कोई नही कर सकता। इस बिगड़ी को बनाने वाला, इस पतित दुनिया को पावन बनाने वाला, पाप आत्माओं को देव आत्मा बनाने वाला इस सृस्टि में भगवान के सिवाय और कोई नही कर सकता। (परमात्मा का कर्तव्य Read Here)

✦ दुनिया में सुख शांति लाने का काम एक परमात्मा ही कर सकते है।

✦ इस कलियुगी तथा पतित दुनिया को पावन बनाकर सतयुग की स्थापना सिर्फ परमात्मा ही कर सकता है।

HD 10 Gods divine act Geeta Ka Bhgwan

✦ परमात्मा के तीन मुख्य कर्तव्य हैं

  1. ब्रह्मा द्वारा नई सृष्टि 🌐की स्थापना,
  2. शंकर द्वारा पुरानी आसुरी सृष्टि का विनाश
  3. विष्णु के द्वारा नई सृष्टि 🌏की पालना

अलग-अलग धर्म ग्रंथो द्वारा परमात्मा के स्वरूप और धाम के बारे में क्या कहा गया❓

गीता

गीता अध्याय(8/9) उसमें लिखा है परमात्मा ने अपने स्वरूप के बारे में बताया” मेरा रुप अणु से भी सूक्ष्म है और अचिंत्य है और सूर्य वर्ण और ज्योति स्वरूप है ” इससे स्पष्ट है कि भगवान भी आत्माओं की तरह ही एक ज्योति बिंदु ही है।

गीता 📕(अध्याय 13/17) में परमात्मा ने कहा कि” मैं ज्योतियो का भी परम ज्योति हूं” और उन्होंने अपने धाम के बारे में भी बताया कि उनके धाम में भी अव्यक्त ब्रह्म नामक प्रकाश है उनका धामा अव्यक्त धाम है गीता (अध्याय 8/20-21)में हम देख सकते है।

मनुस्मृति

मनुस्मृति (1/9 )में लिखा है सृष्टि के आरंभ में एक अंड प्रकट हुआ वह हजारों सूर्य के समान तेजस्वी और प्रकाशमान था।

यजुर्वेद

यजुर्वेद 32/2 का वचन है “सर्वे निमिषा जज्ञिरे विघुत पुरुषादधि “अर्थात वह विद्युतपुरुष (ज्योतिर्लिंग )प्रकट हुआ जिससे निमेष ,कला आदि का प्रारंभ हुआ।

शिव पुराण

शिव पुराण धर्म संहिता (2/63- 64) में लिखा है कलयुग के अंत में प्रलय काल में एक अद्भुत ज्योतिर्लिंग प्रकट हुआ वह पहले अग्नि के समान ज्वालयमान था अथवा तेजोमय था वह ना घटता था ना बढ़ता था ।वह अनुपम था वह अवयक्त था और उस द्वारा ही सृष्टि का आरंभ हुआ था।

बाइबिल

ईसाइयों के धर्म ग्रंथ बाइबिल तौरेत (अ 1,श्लो 2-4 )में लिखा है कि “ईश्वर की आत्मा जल पर डोलता था” अर्थात ईश्वर भी हमारी ही तरह आत्मस्वरूप आत्मा ही है।

कुरान

कुरान में भी कहा गया है:- “अल्लाहू नरुस्मा बाते बलार्द नुरुनाल्लानुर” सुराह no. 24 यानि खुदा का चेहरा नुरानी है वो नूर सातो आसमानो तक फैला है वो ही नूर मोमिन के दिलों मे नूरों का भी नूर है।

श्री गुरु नानक देव जी

श्री गुरु नानक देव जी परमात्मा के धाम और उनके स्वरूप के विषय में क्या कहते हैं।

पसरी किरणि ज्योति उजाला ।

करि करि देखै आपि दयाआला ।।

अनहद रुन झुनकार सदा

धुनि निरभऊ कै घरि वायिदा।।

उस परमात्मा से अथाह प्रकाश निकल रहा है और शब्द की ध्वनि निकल रही है।
✦ हम मंदिरो में दीपक जलाते है, MOSQUE में चिराग, CHARCH में मोमबत्ती और गुरद्वारे मे प्रकाश किया जाता है।

विज्ञान और परमात्मा ❓

■ इसी तरह साइंटिस्ट भी एक शक्ति द्वारा ही सृष्टि की रचना को स्वीकार करते हैं परंतु वह शक्ति को चेतन ज्ञान रूप और इच्छा रूप नहीं मानते क्योंकि साइंस के पास इस शक्ति को अनुभव करने की सामर्थ्य ही नहीं है।

■ 📕आक्सफोर्ड शब्दकोश में, गॉड सर्वोच्च सत्ता की परिभाषा एक ऐसे पारलौकिक सत्ता के रूप में दी गई है जो ब्रह्मांड का निर्माता एवं इसका संचालक हैं।

अल्बर्ट आइंस्टाइन जर्मन मूल के वैज्ञानिक नोबल पुरस्कार प्राप्त लिखते है कि

“जो अभेद्द है उसका भी अस्तित्व हैं “

जैसे हम बगीचे में जाते है वहाँ फूलों 🌹की महक की अनुभूति तो हम करते है लेकिन महक दिखाई नहीं देती है l इसी प्रकार हमें ईश्वर इन आँखों से दिखाई नहीं देते हैं लेकिन उनकी अनुभूति हम कर सकते है।

✦ जैसे वैज्ञानिको🚀के द्वारा अति सूक्ष्म न्यूट्रान व साइसोन कणों की खोज की है लेकिन उन्हें इन खुली आँखों नहीं देख सकते l उन्हें देखने के लिए यंत्रों 🔬की आवश्कता होती हैं।उसी तरह परमात्मा का रूप ज्योतिर्बिंदु है l परमात्मा सूक्ष्मातिसूक्ष्म ज्योति कण है l

उस दिव्य ज्योतिर्मय रूप को दिव्य चक्षुओं के द्वारा ही देखा जा सकता है।

✦ जब आत्मा आत्मिक रूप में परमात्मा से जुड़ती है तब चूंकि परमात्मा शक्तियों, कलाओं, मूल्यों व ज्ञान के स्त्रोत है l आत्मा इन सबसे भरपूर होती जाती है l

परमात्मा से हमें यह सब कैसे प्राप्त होता है??

✦ जिस प्रकार केमिकल कंपोनेंट्स अस्त-व्यस्त होने पर बैटरी डिस्चार्ज होती है और करंट मिलने से कंपोनेंट्स व्यवस्थित हो जाते हैं l और बैटरी रिचार्ज हो जाती है l उसी प्रकार परमात्मा जो शक्तियों के स्त्रोत हैं, उनसे मन बुद्धि को जोड़ना होता है। राजयोग मैडिटेशन चार्जर है और परमात्मा रूपी करंट जो दिखाई नहीं देता परंतु धीरे-धीरे हमारे अंदर सुव्यवस्था अर्थात् सोचना, बोलना व करना इसमें सुसंवादिता आती है l इस तरह आत्मा में बदलाव आ जाता है।

✦ आत्मा उसकी पॉवर कम हो जाती हैं लेकिन परमात्मा की पॉवर कभी कम नही होती,वो एकरस है। जिसे science कहती है कि जब energy form change नही करती तब energy same रहती है।

✦ आत्मा परिवर्तनशील क्यूंकि यह के चक्र में आती अर्थात energy converts into other form…लेकिन परमात्मा अपरिवर्तनशील है क्योंकि वे जन्म- मरण के चक्र में नही आते…अर्थात…he is that supreme energy which does not convert into other form.

परमात्मा का परिचय (सारांश)

◆1. परमात्मा का नाम — ‘सदाशिव’ जेहोवा, गॉड, अल्लाह ,सिद्धशिलापति , चिनकुनसेकी, वाहेगुरु , सबका मालिक☝एक।

◆2. परमात्मा का दिव्य स्वरुप — अति सूक्ष्म दिव्य ज्योतिबिंदु🌟रूप, नूर , प्रकाश, लाइट।

◆3. परमात्मा की योग्यता –सर्व धर्म मान्य, सर्वोच्च, सर्वोपरि , सर्वज्ञ , सर्वगुण में अनंत सर्वशक्तिमान।

◆4. परमात्मा का निवास स्थान –ब्रह्मलोक, परमधाम, निर्वाणधाम , शांतिधाम में रहने वाला ईश्वर ।

◆5. परमात्मा का दिव्य कर्तव्य — अधर्म का नाश और सत्य धर्म की स्थापना।

आत्मा का परिचय Click Here

Ashish
Ashishhttps://ashishji.com/
Hello, I'm Ashish Bansal, , an innovative individual with a unique blend of interests and talents. As a spiritual soul with a deep connection to inner peace and wisdom, I find joy in exploring the profound questions of life. My inquisitive nature drives me to constantly seek knowledge, whether through philosophy, meditation, or the teachings of spirituality. In the professional realm, I wear many hats. I'm a content writer, philosopher, YouTuber, and creator, dedicated to crafting meaningful and engaging content that resonates with audiences. My work spans across website development, social media management, and video production, where I help brands and individuals boost their digital presence. But my journey doesn't end there. I'm also a passionate bike rider, finding freedom and inspiration on the open road. As a meditator and teacher, I guide others on their spiritual paths, sharing the insights I've gained through my own experiences. Above all, I'm a Godly student, continually learning and growing in my faith and understanding of the divine. Whether I'm building a brand's online portfolio or exploring the depths of human consciousness, my goal is always the same: to create, inspire, and make a positive impact on the world.

Related Articles

Latest Articles

Ashish
26 POSTS0 COMMENTS