प्याज़, लहसुन नहीं खाने के Scientifically और Spiritually प्रूफ

समुद्रमंथन से निकले अमृत को, मोहिनी रूप धरे विष्णु भगवान जब देवताओं में बांट रहे थे। तभी एक राक्षस भी वहीं आकर बैठ गया। भगवान ने उसे भी देवता समझकर अमृत दे दिया। लेकिन तभी उन्हें सूर्य व चंद्रमा ने बताया कि ये राक्षस है।

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​प्याज़, लहसुन क्यों नहीं खाना चाहिए ? इसके कई फायदे हैं तो क्यों इसे हम छोड़े​ ?
इसको Scientifically और Spiritually प्रूफ कीजिये क्यों नही खाना है ??
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अन्न का मन पर प्रभाव​

कहते है जैसा अन्न वैसा मन अर्थात हम जो कुछ भी खाते है वैसा ही हमारा मन बन जाता है। अन्न चरित्र निर्माण करता है।इसलिए हम क्या खा रहे है इस बात को सदा ध्यान रखना चाहिये।

भोजन के प्रकार

भोजन भी तीन प्रकार का  होता है।

  1. सात्विक अन्न
  2. रजोगुणी अन्न ( मैदा से बनी आइटम्स )
  3. तमोगुणी अन्न

इनमें से मुख्य दो आहार है :

  1. सात्विक
  2. तामसिक

सात्विक

योग पथ पर चलने वाले को सात्विक आहार ही लेना चाहिए। सात्विक आहार मानसिक पवित्रता को बढ़ाता है। हमारे इस दिव्य ज्ञान का ध्येय है-

​”पवित्र बनो, योगी बनो “​

पवित्रता ही सुख-शान्ति की जननी है
​”PURITY IS THE MOTHER OF ALL VALUES”​

  • पवित्रता की धारणा मन्सा, वाचा, कर्मणा द्वारा होती है।
  • मानसिक पवित्रता ही शारीरिक पवित्रता का आधार है।
  • मानसिक पवित्रता अर्थात आत्मा के स्वधर्म की स्मृति शांति, सुख, ज्ञान, आनन्द, प्रेम के विचारों में रमण करना।
  • सहज, सरल, मृदुभाव, आत्मिक भाव में रहना पवित्रता है।
पवित्रता ही सुख-शान्ति की जननी है ​"PURITY IS THE MOTHER OF ALL VALUES
पवित्रता ही सुख-शान्ति की जननी है ​”PURITY IS THE MOTHER OF ALL VALUES

तामसिक

  • तामसिक भोजन मानसिक अपवित्रता है।
  • अन्न की शुद्वता हो जिसमें तामसिक भोजन लहसुन, प्याज, तीखा मिर्च मसाला, नॉन वेज (मीट) आदि ना हो।
  • आधिक भोजन भी वर्जित है।
  • कोई भी व्यसन स्मोकिंग शराब आदि नशे हमें हमारे मूल स्वभाव में ठहरने नहीं देते हैं।
  • शारीरिक कमजोरी पैदा करते हैं।
  • मन में भारीपन, डर, शंका, ईर्ष्या, घृणा, बदले की भावना पैदा करते हैं।
  • काम , क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, कुद्दष्टि, कुवृत्ति को बढ़ावा देते हैं।
  • संकल्पों में वेग उत्पन्न कराते हैं।

प्याज और लहसुन क्यों नही खाना चाहिए

Spiritually

प्याज और लहसुन ना खाए जाने के पीछे सबसे प्रसिद्ध पौराणिक कथा यह है कि

         समुद्रमंथन से निकले अमृत को, मोहिनी रूप धरे विष्णु भगवान जब देवताओं में बांट रहे थे। तभी एक राक्षस भी वहीं आकर बैठ गया। भगवान ने उसे भी देवता समझकर अमृत दे दिया। लेकिन तभी उन्हें सूर्य चंद्रमा ने बताया कि ये राक्षस है।भगवान विष्णु ने तुरंत उसके सिर को धड़ से अलग कर दिए। लेकिन राहू के मुख में अमृत पहुंच चुका था इसलिए उसका मुख अमर हो गया। पर, भगवान विष्णु द्वारा राहू के सिर काटे जाने पर उनके कटे सिर से अमृत की कुछ बूंदे ज़मीन पर गिर गईं जिनसे प्याज और लहसुन उपजे।

चूंकि ​यह दोनों सब्ज़िया अमृत की बूंदों से उपजी हैं इसलिए यह रोगों और रोगाणुओं को नष्ट करने में अमृत समान होती हैं !

पर क्योंकि यह राक्षसों के मुख से होकर गिरी हैं इसलिए इनमें तेज़ गंध है और ये अपवित्र हैं जिन्हें कभी भी भगवान के भोग में इस्तेमाल नहीं किया जाता।​

कहा जाता है कि

  • जो भी प्याज और लहसुन खाता है उनका शरीर राक्षसों के शरीर की भांति मज़बूत हो जाता है
  • लेकिन साथ ही उनकी बुद्धि और सोच-विचार राक्षसों की तरह दूषित भी हो जाते हैं।
  • इन दोनों सब्जियों को मांस के समान माना जाता है।
  • जो लहसुन और प्याज खाता है उसका मन के साथ-साथ पूरा शरीर तामसिक स्वभाव का हो जाता है।
why-not-to-eat-Onion-garlic
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श्रीमद् भगवद्गीता

श्रीमद् भगवद्गीता में 17 वें अध्याय में भी कहा गया है व्यक्ति जैसा भोजन (लहुसन, प्याज….. तामसिक) खाता है, वैसी अपनी प्रकृति (शरीर) का निर्माण करता है।​

अनियन, मॉस, शराब या कोई भी प्रकार का नशा….​
जिसे लेने से ये शरीर भी अस्वीकार करता है। आपने देखा होगा,

कोई भी ऐसा भोजन जो इस देह के लिए नही है उसको ये देह में डालते ही देह उसके कणों को बाहर फेंकता है और मुख से दुर्गन्ध आती है।

जैसे- अनियन, अण्डा, शराब, बीड़ी, सिगरेट आदि।

जितने व्रत रखते है उसमे भी इसका परहेज बताया जाता है।

इसे तामसिक माना गया है। क्योंकि इससे तीव्र गंध आती है जो एकदम आसुरी लक्षण है। देवियों की जड़ मूर्तियों के आगे भी कभी ऐसे तामसिक चढ़ावा नहीं रखते है। इसे खाने से मन पर कंट्रोल नहीं हो पाता।

इनको खाने सेे गैस भी ज्यादा बनती है और सिर में दर्द भी पैदा होता है और मस्तिष्क में भी कमजोर हो जाता है।

ब्राह्मण प्याज और लहसुन खाने से परहेज करते हैं ये देर से पचते है और योग साधना में हानिकारक है। इनसे चित की शांति और प्रसन्न्ता भंग होती है। यदि पवित्र बनना है तो इनका त्याग ही करना उचित हैं।

वैष्णवजन प्याज, लहसुन का उपयोग नहीं करते। प्याज शरीर को लाभ पहुंचाने के हिसाब से चाहे कितना ही लाभकारी और गुणकारी क्यों न हो लेकिन मानसिक और आध्यात्मिक नज़रिये से यह एक तेज और निचले दर्जे का तामसिक भोजन का पदार्थ है। इनकी तासीर या अवगुणों के कारण ही इनका त्याग किया गया है।


इसी तरह से मांस खाने से शरीर में मांस भले ही बढ़ जाए लेकिन उससे मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य की आशा कभी नही करनी चाहिए।

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Scientifically

वैज्ञानिकों ने​ भी इस पर बहुत शोध किया है जिसका परिणाम है कि प्याज और लहसुन गर्म होते हैं जो हार्मोन्स को प्रभावित करते हैं !

ये वासना के लिए प्रेरित करते हैं और मन के भीतर कामेच्छा बढ़ाते हैं !

फिर क्रोध का भी जन्म होता है, जिससे शरीर पर कीटाणुओं का असर बढ़ता है और आलस्य, थकावट, चिंता आदि लक्षण देखे जाते है।

हमारे ब्लड से तरंगे निकलती है जो हमारे मस्तिष्क तक पहुँचकर निर्णय शक्ति को बढ़ाने में मदद करतीं है ।

यदि हम प्याज लहसुन खाते हैं तो यह तरंगे मस्तिष्क तक नहीं पहुँच पातीं और हमारे सोचने विचारने की क्षमता प्रभावित होती है।

​A Research article:​

Garlic – Toxic And A Brain
Synchronization Destroyer  

I have been telling people this for years,  all you need is a ECG of the brain to see the truth .. it totally desynchronizes the brain and cause us to loose our psychic mind … yes our psychic mind, we are Human not slaves to the race of beings that control us … this doesn’t mean much to most …

Garlic is not only repulsive to any one that eats it for hours … but it makes us stupid slow and simple .

.. this is hard for most people to grasp, do the ECG and do the experiment yourselves … read this article on this and you will be amazed

it does clean the blood but it also destroys the total  mind synchronization of the two hemispheres .. I was heart broken,  when I heard of this because I love the smell of garlic and onions … but oh well … once you find out they are a neuro poison then it makes al the sense in the world when you eat it … what happens to you ! … you smell awful and are totally repulsed by others . most are generally being nice not to tell you … YOU STINK .. stay your distance !  
it is also the best organic insect killer, too, is there a reason why no bug will eat garlic or any of the onion family…because it kills them.

The reason garlic is so toxic, the Sulphone Hydroxyl Ion penetrates the blood brain barrier, just like DMSO, and is a specific poison for higher life forms and brain cells.

More Point

  • They can cause bad breath and body odor, which can be socially uncomfortable.
  • Some people may be allergic to onion and garlic, which can cause symptoms like skin rash, hives, and difficulty breathing.
  • Onion and garlic contain high amounts of fructans, a type of carbohydrate that can cause digestive problems like bloating and gas in some people.
  • Consumption of onion and garlic can lead to the formation of free radicals in the body, which can cause damage to cells and contribute to the development of diseases like cancer.
  • Garlic and onion contain compounds that can interfere with the absorption of certain medications, so it’s important to talk to your doctor if you are taking any prescription drugs before consuming these foods.

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