E.42 खुदा का खत ( श्रीमदभगवदगीता )

गीता ज्ञान का आध्यात्मिक रहस्य (सातवाँ और आठवाँ अध्याय)

“आत्म-स्वरूप स्थिति”

The Great Geeta Episode No• 042

एक कहानी

एक बार एक व्यक्त्ति को स्वप्न आता है और स्वप्न में अपनी जीवन-यात्रा को देखता है ! क्या वह देखता है कि समुद्र के किनारे चल रहा है ! जब ध्यान से देखता है , तो कहीं-कहीं दो पैरो के निशान थे , और कहीं-कहीं चार पैरों के निशान थे ! फिर और ध्यान से देखता है कि जब उसके जीवन के सुख भरे दिन थे , उत्साह भरे दिन थे तब चार निशान दिखाई देने लगते हैं ! और जब उसके जीवन के दुःख भरे दिन थे , दर्द भरे दिन थे , तो सिर्फ दो निशान दिखाई दिए !
वह मन ही मन भगवान से बातें करने लगा ! भगवान जी मैं समझता था कि तुम हर वक्त्त मेरे साथ हो ! जीवन भर मेरे साथ रहे हो ! लेकिन आज मैं क्या देखता हूँ- मेरे सुख के दिनों मेरे साथ चलते रहे ! तो ये दो तेरे पैरों के निशान और ये दो मेरे पैरों के निशान लेकिन जब मेरे जीवन में दुःख आया , दर्द आया , जब मुझे तेरी ज़्यादा आवश्यकता थी ! तब तुम मुझे छोड़कर कहाँ चले गये ?
भगवान मुस्कराते हैं और कहते हैं नहीं बच्चे तब भी मैं तेरे साथ था ! तेरे सुख भरे दिन में मैं तेरी अंगुली पकड़कर चल रहा था ! इसलिए तुझे चार निशान दिखाई दिए ! दो तेरे और दो मेरे ! लेकिन तेरे दुःख भरे दिन में , तेरे कष्टों भरे दिन में तेरा दुःख और दर्द मुझ से भी सहन नहीं हुआ और इसलिए मैं तुझे और ज़्यादा चलने का कष्ट नहीं देना चाहता था ! तो तुझे अपनी बाहों में उठा लिया ! ये जो दो निशान दिखाई दे रहे हैं वो तेरे नहीं वो मेरे हैं ! ये ईश्वर का प्यार !
लेकिन इस प्यार का अनुभव तब हो सकता है जब हमारे ह्रदय में भी ईश्वर के प्रति उतना ही प्यार हो और जब हम इतने अनन्य भाव से परमात्मा को याद करें तो मन कभी भी विचलित नहीं हो सकता है ! जो इतना प्यार ह्रदय में लेकर बैठते हैं , भगवान को याद करते हैं फिर देखो भगवान हर वक्त्त किस तरह साथ देता है !

थोड़ा सा अगर अपने जीवन में भीतर झांककर देखें कि हमारे जीवन में जब भी कष्ट आया , दुःख , दर्द आया, कई समस्यायें ऐसी आई जहाँ इतनी परेशानी बढ़ गयी ! दुनिया के लोग आकर सहानुभूति के दो शब्द कहकर चले जायेंगे लेकिन जो अदृश्य शक्त्ति मिलती है , वो कहाँ से मिलती है ?

भगवान हर वक्त्त देखते हैं ! हम भले उसको प्यार करें या ना करें लेकिन वो इतना प्यार करते है कि हमें उसका अहसास ही नहीं है ! कई बार लौकिक में भी कहते हैं कोई बच्चा अपने मात-पिता को कह दे कि भई आपने हमारे लिए किया तो उसमें कौन- सी बड़ी बात थी ?

ये तो आप का फर्ज़ था ! उस समय आप को कैसा लगेगा ! वैसे भगवान के इतना प्यार करने के बाद भी उस प्यार को महसूस करने की शक्त्ति नहीं होती है ! अगर मनुष्य भी ये कह दे कि अगर भगवान ने मदद की तो उसमें कौन-सी बड़ी बात थी ?

ये तो उसका फर्ज़ था ! कैसा लगेगा ! कई बार आपने जीवन में अनुभव किया होगा कि रात को सोते वक्त्त सुबह में अगर कोई कारणवश जल्दी उठना होता है ! कोई प्लेन पकड़ना होता है , कोई ट्रेन पकड़नी होती है तो अलार्म लगाकर सोयेंगे ! लेकिन अलार्म बजने से पांच मिनट पहले ही आँख खुल जाती है , अनुभव किया है ना पांच मिनट पहले खुल जाती है और ऐसा महसूस होता है जैसे किसी ने खटिया हिलाकर उठाया हो ! ये किसने उठाया ?

भगवान अपने बच्चों से इतना प्यार करते हैं ! फिर भी हम चाहे उनको पूछें न पूछें , उनको प्यार से याद करें न करें , भगवान का प्यार इतना अधिक है बच्चों के प्रति कि उसको मालूम है आज बच्चे को प्लेन पकड़ना है , ट्रेन पकड़नी है ! तो उसको खटिया हिलाकर उठाता भी है ! ये अनुभव किया होगा आप सभी ने !

सुबह उठाने से लेकर रात्रि सोने तक वो हमारा ध्यान रखता है ! सुबह उठाने के बाद उसके मन में यही होता है कि मेरा बच्चा सबसे पहले उठकर मुझे तो याद करेगा ! लेकिन हम क्या करते हैं ? उठने के बाद सबसे पहले पूछेंगे कि आज का न्यूज़पेपर आया कि नहीं आया ?

न्यूज़पेपर लेकर बैठ जाते हैं भगवान को याद नहीं करते ! भगवान सोचते हैं चलो कोई बात नहीं दुनिया की खबर भी पढ़ लेने दो ! दुनिया की खबर पढ़ लेने के बाद ज़रूर मुझे याद करेगा ही करेगा ! लेकिन न्यूज़पेपर पढ़ने के बाद हम क्या करते हैं ? स्नान आदि करके , फ्रेश होकर नाश्ता करने बैठ जाते हैं !

☝भगवान हमें कितना प्यार करते हैं , इसके लिए ” खुदा का खत ” अवश्य ही पढ़िये ….

खुदा का खत

मीठे बच्चे !
🔺आज सेवेरे निंद्रा में से आप उठे तब एक आशा लिए में आपको देख रहा था कि आप जरूर कुछ बातें मुझ से करेगें, चाहे केवल थोडे ही शब्द क्यों न हो ? आप मेरा अभिप्राय अवश्य जानना चाहेंगे अथवा कल आपके जीवन में घटी शुभ घटना के लिये मुझे धन्यावाद देंगे ! किन्तु मुझे ऐसा लगा कि आप अत्यन्त व्यस्त थे ! कार्य-स्थल. पर पहुँचने की जल्दी में, अपने प्रात:कार्यो से निपटने में रत थे !
🔻और में प्रतिक्षा करता रहा…जब आप तैयार होकर घर से निकल पड़े तब में समझता था की कुछ मिनट ठहरकर ‘ हेलो’ तो जरूर कर पायेंगे, किन्तु आप बुहत व्यस्त थे ! एक बार तो आप को पन्द्रह मिनट इंतजार करना पड़ा और कुर्सी पर बैठने के अलावा और कोई काम नहीं था ! फिर, मैने देखा कि आप एकदम से खड़े हो गये ! मैने सोचा था कि आप मुझसे बात करना चाहते है, परन्तु आपने तो फौरन फोन जोड़ा और मित्र से गपशप करने लगे !
🔺आपको कार्य पर रवाना होते हुए मैंने देखा था और फिर दिन- भर. मैने धैर्यतापूर्वक इंतजार किया था आपकी इन प्रवृत्तियों को देखकर मैने अनुमान किया कि आप इतने व्यस्त थे जो मुझसे कुछ भी कहने कि फुर्सत नहीं थी ! जब भोजन के पूर्व आपने आसपास नजर दौड़ाई तो मुझे लगा था कि शायद मुझे से बात करने के लिय आप बेताब है ! आपने तीन-चार टेबुल तक अपनी निगाहें घुमाई तो आपको कई मित्र खाना शुरू करने से पहले मुझसे थोड़ी सी बातचीत करते हुए दिखाई दिये, पर आपने वह नहीं किया ! कोई बात नहीं !
🔻 इसी प्रकार कुछ समय और निकल गया और आपके घर लौटने के पशचात् मैने आशा रखी की अब तो आप अवश्य मुझसे बातें करेगें यधपि ऐसा जान पड़ता था कि आपके बुहत कुछ कार्य करने बाकी है ! उनमें से कुछेक कार्य पूर्ण हो जाने के बाद आपने टी•वी चालु किया ! में यह समझ नहीं पा रहा हुँ कि आपको टी•वी पसन्द है या नहीं, बस जो उस पर दर्शाया जाता है उसे देखने में आप प्रति-दिन बुहत समय व्यय करते हैं ! कार्यक्रमो में तल्लीन आप और सब कुछ भूल जाते है ! में सब्रतापूर्वक फिर से इंतजारी से भरी निगाहों से आपको टी•वी देखते हुए, रात्रि-भोजन लेते हुए निहारता रहा लेकिन फिर से आपने मुझसे कोई बातचीत नहीं की !
🔺निंद्रा के समय मुझे ख्याल आया कि आप बहुत थके हुए है ! अपने परिवारजनों को शुभरात्री कहते हुए आप बिस्तर पर लेट गये और कुछ क्षणों में निंद्राधिन हो गये ! चलो, कोई बात नहीं, शायद आपको यह अहसास ही नहीं होगा कि मैं सदा आपके आस-पास ही रहता हूँ ! मेरे पास आपसे बुहत अधिक धैर्यता है और मैं आपको भी यही सिखाना चाहता हुँ कि अन्यो के साथ भी किस प्रकार धैयर्तापूर्वक रहना चहिए !
🔻 मैं आपको इतना अधिक प्यार करता हुँ कि मैं हर रोज़ आपकी अराधना, आपके दिल का प्यार, ह्रदय के उदगारों को सुनने की प्रतिक्षा करता रहता हूँ ! एक तरफा वार्तालाप करना किठन कार्य है ! अच्छा, फिर से आप सोकर ऊठ रहे और मैं, फिर एक बार प्रतिक्षा कर रहा हुँ…..दिल में आप के प्रति अनहद प्यार लेकर , इसी आशा मे कि आप आज तो मेरे लिय ज़रूर कुछ समय निकालेंगे ! 
अच्छा, शुभ-दिन मुबारक हो ! 
आपका मित्र…खुदा दोस्त !

B K Swarna
B K Swarnahttps://hapur.bk.ooo/
Sister B K Swarna is a Rajyoga Meditation Teacher, an orator. At the age of 15 she began her life's as a path of spirituality. In 1997 She fully dedicated her life in Brahmakumaris for spiritual service for humanity. Especially services for women empowering, stress & self management, development of Inner Values.

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Shakuntla Verma
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