इसमें आत्मा का कभी भी नाश नहीं होता है और ना ही आत्मा के ऊपर प्रकृति का कोई प्रभाव पड़ता है अर्थात् न अग्नि उसे जला सकती है , न पानी उसको गीला कर सकता है, न हवा उसको सुखा सकती है , न तलवार उसको काट सकती है, आत्मा न कभी मरती है और न ही जन्म लेती है, यह अजन्मा, अविनाशी, शाश्वत और आदि युगीन है !
पार्वती जी ने भगवान शिव से कहा कि, प्रभु इनकी हालत सुधार दो ! तो भगवान शिव बोले की वह अपने कर्मो के कारण ऐसे है ;उन्होने बहुत बार देने की कोशिश की है !