मौन का महत्व (कहानी)

एक मछुआरा कांटा डाले तालाब के किनारे बैठा था। काफी समय बाद भी कोई मछली कांटे में नहीं फँसी, ना ही कोई हलचल हुई तो वह सोचने लगा... कहीं ऐसा तो नहीं कि मैने कांटा गलत जगह डाल दिया है, यहाँ कोई मछली ही न हो !

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उसने तालाब में झाँका तो देखा कि उसके कांटे के आसपास तो बहुत-सी मछलियाँ थीं। उसे बहुत आश्चर्य हुआ कि इतनी मछलियाँ होने के बाद भी कोई मछली फँसी क्यों नहीं !

एक रास्ते चलते हुए व्यक्ति ने जब यह सब देखा तो मछुआरे से कहा- “लगता है भैया, यहाँ पर मछली पकड़ने बहुत दिनों बाद आए हो! अब इस तालाब की मछलियाँ कांटे में नहीं फँसती।”

मछुआरे ने आश्चर्य से पूछा- “क्यों भाई, ऐसा क्या है यहाँ ?

रास्ते चलने वाला व्यक्ति बोला- “पिछले दिनों तालाब के किनारे एक बहुत बड़े संत ठहरे थे। उन्होने यहाँ मौन के महत्व पर प्रवचन दिया था। उनकी वाणी में इतना तेज था कि जब वे प्रवचन देते तो सारी मछलियाँ बड़े ध्यान से प्रवचन सुनतीं।

यह उनके प्रवचनों का ही असर है कि उसके बाद जब भी कोई इन्हें फँसाने के लिए कांटा डालकर बैठता है तो ये मौन धारण कर लेती हैं।

जब मछली मुँह खालेंगी ही नहीं तो कांटे में फँसेगी कैसे ?

इसलिए बेहतर यहीं होगा कि आप कहीं और जाकर कांटा डालो।”

परमात्मा ने हर इंसान को दो आँख, दो कान, दो नासिका, दो बांहे और दो टांगें यानि प्रत्येक को दो- दो ही प्रदान किया है। पर जिह्वा एक ही दी है.. क्या कारण रहा होगा ?

क्योंकि यह एक ही अनेकों भयंकर परिस्थितियों को पैदा करने के लिये पर्याप्त है।

संत ने कितनी सही बात कही कि जब मुँह खोलोगे ही नहीं तो फँसोगे कैसे ?

अगर इन्द्रिय पर संयम करना चाहते हैं तो.. इस जिह्वा पर नियंत्रण कर लेवें बाकी सब इन्द्रियां स्वयं नियंत्रित रहेंगी।

यह बात हमें भी अपने जीवन में उतार लेनी चाहिए।

"एक चुप सौ सुख"
पवित्रता ही सुख-शान्ति की जननी है ​"PURITY IS THE MOTHER OF ALL VALUES

इसलिए प्यारे भाईयों, बहनों मौन में डुबकी लगाओ। मौन को अपने भीतर लाओ।

वहाँ शांति का परम राज्य है दिव्य अनुभूति की रसधारा व शक्तियों का स्रोत है जहाँ सब थकान, संताप और उदासी समाप्त हो जाती है।

यह मौन बड़ा शुभ है जैसे मौन हमारे अंदर गहराएगा वैसे वाणी भी प्रमाणित होती चली जाएगी।

उस बोलने में अत्यंत माधुर्य होगा उसमे सत्य की सुगन्ध होगी और आपको अनुभव होगा कि बोलने पर भी आपका मौन खण्डित नही होता।

मौन जीवन मे इतनी बड़ी घटना है कि अगर एक बार घट जाए तो जीवन ही परिवर्तित हो जाये।

पहले भीतर विचार और बाहर मौन होता था और अब भीतर मौन ओर बाहर विचार होंगे ।

बस एक बार इसका प्रयोग तो करो सफलता का कटीला मार्ग भी मंगलमय हो जायेगा।

Ashish
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Hello, I'm Ashish Bansal, , an innovative individual with a unique blend of interests and talents. As a spiritual soul with a deep connection to inner peace and wisdom, I find joy in exploring the profound questions of life. My inquisitive nature drives me to constantly seek knowledge, whether through philosophy, meditation, or the teachings of spirituality. In the professional realm, I wear many hats. I'm a content writer, philosopher, YouTuber, and creator, dedicated to crafting meaningful and engaging content that resonates with audiences. My work spans across website development, social media management, and video production, where I help brands and individuals boost their digital presence. But my journey doesn't end there. I'm also a passionate bike rider, finding freedom and inspiration on the open road. As a meditator and teacher, I guide others on their spiritual paths, sharing the insights I've gained through my own experiences. Above all, I'm a Godly student, continually learning and growing in my faith and understanding of the divine. Whether I'm building a brand's online portfolio or exploring the depths of human consciousness, my goal is always the same: to create, inspire, and make a positive impact on the world.

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