मैं बहुत धार्मिक हूँ बचपन से ही कड़ी भक्ति की है।व्रत उपवास बस इसी में ही जीवन के आधे से ज्यादा दिन गुज़र जाते है.. पर फिर भी जीवन में बहुत परीक्षाएं आती है..दुख ,तकलीफ, मुसीबत, कष्ट परेशानियां तो जैसे जाने का नाम ही नहीं लेती।एक खत्म होती है तो दूसरी पहले ही आने के लिए तैयार खड़ी रहती है।
इन सबको देखते हुए मेरे सभी मित्र संबंधी कहते है ..कुछ नहीं होता है ये भक्ति व्रत,उपवास करने से..जो होना होता है वही होगा..क्या मिलता है तुम्हे भूखे रह कर इतने व्रत ,उपवास करके ?क्या मिल रहा है?बस दुख , कष्ट मुसीबत परेशानियां ही न?
मैने मुस्कुराते हुए जवाब दिया…क्या मिलता है मुझे व्रत करने से।
मुझे मिलता है व्रत करने से..दुख , तकलीफ, परेशानियां कष्ट……….,से लड़ने का साहस,