माया (कहानी)

वह जंगल है 👉दुनिया, अंधेरा है 👉अज्ञान पेड़ की डाली है 👉आयु दिन-रात👉दो चूहे उसे कुतर रहे हैं। घमंड👉मदमस्त हाथी पेड़ को उखाडऩे में लगा है। शहद की बूंदें👉सांसारिक सुख हैं, जिनके कारण मनुष्य खतरे को भी अनदेखा कर देता है.....। यानी, सुख की माया में खोए मन को भगवान भी नहीं बचा सकते

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एक इंसान घने जंगल में भागा जा रहा था।



शाम हो गई थी।

अंधेरे में कुआं दिखाई नहीं दिया और वह उसमें गिर गया।

गिरते-गिरते कुएं पर झुके पेड़ की एक डाल उसके हाथ में आ गई। जब उसने नीचे झांका, तो देखा कि कुएं में चार अजगर मुंह खोले उसे देख रहे हैं |

जिस डाल को वह पकड़े हुए था, उसे दो चूहे कुतर रहे थे।

इतने में एक हाथी आया और पेड़ को जोर-जोर से हिलाने लगा।

वह घबरा गया और सोचने लगा कि हे भगवान अब क्या होगा ?

उसी पेड़ पर मधुमक्खियों का छत्ता लगा था।

हाथी के पेड़ को हिलाने से मधुमक्खियां उडऩे लगीं और शहद की बूंदें टपकने लगीं।

एक बूंद उसके होठों पर आ गिरी। उसने प्यास से सूख रही जीभ को होठों पर फेरा, तो शहद की उस बूंद में गजब की मिठास थी।

कुछ पल बाद फिर शहद की एक और बूंद उसके मुंह में टपकी।

अब वह इतना मगन हो गया कि अपनी मुश्किलों को भूल गया।

तभी उस जंगल से शिव एवं पार्वती अपने वाहन से गुजरे।

पार्वती ने शिव से उसे बचाने का अनुरोध किया।

भगवान शिव ने उसके पास जाकर कहा – मैं तुम्हें बचाना चाहता हूं। मेरा हाथ पकड़ लो।
उस इंसान ने कहा कि एक बूंद शहद और चाट लूं, फिर चलता हूं।

एक बूंद, फिर एक बूंद और हर एक बूंद के बाद अगली बूंद का इंतजार।

आखिर थक-हारकर शिवजी चले गए।

मित्रों..
वह जिस जंगल में जा रहा था,

Geeta

वह जंगल है 👉दुनिया,
अंधेरा है 👉अज्ञान
पेड़ की डाली है 👉आयु
दिन-रात👉दो चूहे उसे कुतर रहे हैं।
घमंड👉मदमस्त हाथी पेड़ को उखाडऩे में लगा है।
शहद की बूंदें👉सांसारिक सुख हैं, जिनके कारण मनुष्य खतरे को भी अनदेखा कर देता है…..।
यानी,
सुख की माया में खोए मन को भगवान भी नहीं बचा सकते……।

माया

हम जिसे माया कहते हैं, वह और कुछ नहीं, बल्कि हमारी अपनी आंतरिक दुर्बलता या कहें तो अशुद्धता है। माया के ये पाँच मुख्य रूप हैं: काम, क्रोध, लोभ, अहंकार, मोह। इन 5 विकारों से प्रेरित होकर हम जो भी विचार या कर्म करते हैं, वे माया कहलाते हैं। तो सरलतम रूप में, माया मानव आत्मा के इन 5 विकारों का संग्रह है।

अभी भगवान ने आकर हम बच्चों को यह बात समझाई है। इन माया की अशुद्धियों को मिटाने का एक ही उपाय है परमपिता परमात्मा शिव को याद करो। वह पवित्रता, ज्ञान और शक्तियों का सागर है। उनका स्मरण करने से हमें आंतरिक शक्ति मिलती है और आत्मा शुद्ध होती है।

माया पर जीत कैसे प्राप्त करें और परिस्थितियों का सामना कैसे करें?

यह सभी आत्माओं के साथ होता है। भले ही आपने आध्यात्मिक पिता को पहचान लिया है, लेकिन माया आपको नकारात्मक विचारों में डालने की पूरी कोशिश करेगी…

हालाँकि, माया सर्वशक्तिमान की शक्ति के सामने असहाय है। जब हमारी बुद्धि (बुद्धि) परमपिता परमात्मा शिव से जुड़ी होती है तो हमें शक्तियाँ प्राप्त होती हैं और इससे हम किसी भी परिस्थिति का ‘आसानी से’ सामना कर सकते हैं।

परीस्थितियां अवश्य आएंगी। वे आपके अपने पिछले कर्मों द्वारा बनाए गए थे। यही है ना? लेकिन अब आपके पास खुद भगवान हाथ में हाथ डाले हम बच्चों के साथ खड़े हैं। यह आपको नहीं भूलना चाहिए!

“अब श्रीमत के मार्गदर्शन और परमपिता परमात्मा शिव की शक्तियों के साथ “आत्म परिवर्तन” की यात्रा शुरू करनी है।”

Harshi
मै धर्म व अध्यात्म की कड़ी, ईश्वरीय मत व प्रेरणा के अधीन हूँ। निरक्षर को शिक्षा देना व अध्यात्म के प्रति जागरूक करना है इसलिए 15 वर्षों से शिक्षिका हूँ। जीवन का उद्देश समाज सेवा एवं अध्यात्म सेवा है इसी को मै अपना परमसौभाग्य मानती हूँ।