E.9 धृतराष्ट्र-गांधारी के सौ पुत्र सबके नाम ‘दु’ से शुरू ?

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कौरव अर्थात् जो अधर्म पक्ष का प्रतीक है ! धृतराष्ट अर्थात् जो राजसता बाहुबल या भूमिबल के अहंकार से युक्त्त हैं ! गांधारी अर्थात् जो देखते हुए भी देखना नहीं चाहती थी !

गीता ज्ञान का आध्यात्मिक रहस्य (पहला और दूसरा अध्याय)

“गीता-ज्ञान, एक मनोयुद्ध या हिंसक युद्ध” 

The Great Geeta Episode No• 009

” कौरव अर्थात् जो अधर्म पक्ष का प्रतीक है ! ”

“धृतराष्ट अर्थात् जो राजसता बाहुबल या भूमिबल के अहंकार से युक्त्त हैं ! “

” गांधारी अर्थात् जो देखते हुए भी देखना नहीं चाहती थी ! इसलिए उसने आँखों पर पट्टी बाँध ली थी ! “

आज के समय में ऐसे धृतराष्ट और गांधारी भी देखने को मिलते हैं और उनके सौ पुत्र भी ! सौ पुत्रों के नाम की शुरूआत ‘दु’ से होती थी !

जैसे दुर्योधन-जिसने धर्म और धन का दुरूपयोग किया ! आज समाज में ऐसे बच्चे देखने को मिलते हैं !

E.9 धृतराष्ट्र-गांधारी के सौ पुत्र सबके नाम 'दु' से शुरू ?

दुःशासन-जिसके जीवन में अनुशासन नाम की चीज़ ही न हो ! ऐसे दुःशासन भी आज समाज में देखने को मिलते हैं !

दुशाल , दुर्मुख , दुष्कर्ण अर्थात् ‘दु’ से ही सारे नाम जो दुःख देने वाले या जिसमे ‘ दृष्टता’ का भाव समाया हो ! उनकी एक बहन भी थी जिसका नाम था ‘ दुशाला ‘ !

आज संसार में भी अधिकतर लोग, जो देखने को मिलते हैं , उनके मन के अन्दर कहीं न कहीं दुष्टता का भाव है या दूसरों को दुःख देना जानता है वह अधर्म पक्ष का और कौरव पक्ष का प्रतीक है !

  • इतना ही नहीं जैसे दुर्योधन ने कहा था धर्म क्या है ? में जानता हूँ ! अधर्म क्या है ?
  • उसे भी में जानता हूँ परन्तु धर्म के मार्ग पर चलने की शक्त्ति मुझमें में नहीं है और अधर्म को में छोड़ना नहीं चाहता ! क्योंकि जीवन में कमज़ोरी आ गई है !
  • उसी को कहा जाता है कि अधर्म पक्ष के प्रतीक या ये कौरव पक्ष में रहने वाले कौरवी सम्प्रदाय हैं !
  • आज विश्व जब महाविनाश के कगार पर खड़ा है ! यह वही कुरूक्षेत्र वाली स्थिति है !
  • ऐसे समय पर मानव जाति को इस संधर्ष में गीता ज्ञान की आवश्यकता है ! यह वही महाभारत वाली स्थिति पुनः हम सबके सम्मुख आकर खड़ी हो गयी है !
  • यही कारण है कि गीता का जन्म कुरूक्षेत्र के महासंघर्ष के बीच में दिखाया गया है !