E.8 पांडवों का आध्यात्मिक रहस्य ?

आज हम सभी कहाँ हैं ? क्या हम युधिष्ठिर हैं ? भीम हैं ? अर्जुन हैं ? नकुल हैं ? या सहदेव हैं ?

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गीता ज्ञान का आध्यात्मिक रहस्य (पहला और दूसरा अध्याय)

“गीता-ज्ञान, एक मनोयुद्ध या हिंसक युद्ध” 

The Great Geeta Episode No• 008

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कहा जाता है कि हर मनुष्य में दो प्रकार की प्रवृत्ति रहती हैं, एक दैवी प्रवृत्ति और दूसरी आसुरी प्रवृत्ति ! दैवी प्रवृत्ति अर्थात् जो धर्म पक्ष का वाचक है, पाण्डव वृत्ति समाई हुई है ! संसार में आज पाण्डव कितने हैं अर्थात् भगवान से प्रीत करने वाले कितने प्रतिशत में हैं ? इसलिए दिखाया गया है कि सौ कौरव और पांच पाण्डव अर्थात् मुट्ठी भर ! दुनिया को अगर सौ प्रतिशत में ले लिया जाए तो उसमें से भगवान से प्रीत करने वाले संसार में कितने लोग होंगे ? सिर्फ पाँच प्रतिशत लोग ही सच्चे रूप से ईश्वर से प्रीत करते हैं, स्वार्थ से नहीं ! सच्चे दिल से जो ईश्वर से प्रीत करता है, वे ही पाण्डव हैं !

👤 युधिष्ठिर 👤

का अर्थ है आध्यात्मिक व्यक्त्तित्व वाला ! युद्ध जैसी परिस्थिति में भी जो स्थिर बुद्धि, संतुलित बुद्धि रहे, उसको कहते हैं युधिष्ठिर ! आज समय ऐसा है जहाँ जीवन में हर व्यक्ति को संधर्ष करना पड़ रहा है ! जैसे जीवन ही एक युद्ध बन गया है, यह जीवन एक ऐसा कर्म क्षेत्र है जहाँ हर समय इंसान को नित्य युद्ध करना पड़ता है ! ऐसी युद्ध जैसी परिस्थिति में कई बार मनुष्य अपना मानसिक संतुलन खो देता है ! केवल एक प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो अपना संतुलन बनाए रखते हैं !

👤 भीम 👤

जो आत्म शक्त्ति से सम्पन्न है ! जिसके पास आत्म-बल है , जिसके सामने कोई भी परिस्थिति ठहर नहीं सकती ! उसके अन्दर जड़ से उखाड़ देने की क्षमता है, इतनी विल-पावर जिस में हो उसे भीम कहा गया ! आज की दुनिया में इतने आत्मिक-शक्त्ति से युक्त्त या इतना मनोबल धारण करने वाले कितने लोग होंगे ? सिर्फ एक प्रतिशत !

👤 अर्जुन 👤

अर्थात् जिसमें अर्जन करने के भाव है ! अर्जुन को भगवान ने जो कहा उसे उसने ‘हाँ जी’ करके स्वीकार किया फिर उसे कार्य में लाया ! ऐसे अर्जन करने के भाव भी कितने प्रतिशत लोगों में होता है ! सिर्फ एक प्रतिशत लोग ऐसे हैं , जो अर्जन करना भी और कराना भी जानते हैं !

👤 नकुल 👤

अर्थात् जो नियमों में चलने वाला जिसको आज की दुनिया में कहते हैं सिद्धांवादी व्यक्ति, जो अपने जीवन को संयमित रखता है ! ऐसे लोग भी आज के संसार में कितने हैं, केवल एक प्रतिशत !

👤 सहदेव 👤

अर्थात् जो हर कार्य में अपना सहयोग देता है ! विशोषकर जहाँ कहीं शुभ कार्य होता है, धार्मिक कार्य होता है ,आध्यात्मिक कार्य होता है , बिना किसी अपेक्षा के सहयोग ऐसे सहदेव भी आज संसार में कितने प्रतिशत होंगे ? सिर्फ एक प्रतिशत और वो सहयोग भी किस आधार से दे सकते हैं , उन्हें दिव्य दृष्टि और दिव्य बुद्धि का वरदान होता हैं !
ये पाँच पाण्डव हैं आज की दुनिया में ! आज हम सभी कहाँ हैं ? क्या हम युधिष्ठिर हैं ? भीम हैं ? अर्जुन हैं ? नकुल हैं ? या सहदेव हैं ?

आज तो हम यही कहेंगे कि आप सभी यर्थार्थ रूप में अर्जुन हैं ! ऐसे अर्जुनों के प्रति ही श्रीमदभगवदगीता का ज्ञान है ! इसके विपरीत देखा जाए तो कौरव हैं !