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श्राद्ध का दिव्य सन्देश

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विघ्न विनाशक गणपति विसर्जन के बाद
पितृ पक्ष में पूर्वजों की छा जाती याद
वो जिन्होंने दिया स्नेह बनकर के दर्पण
उन्हीं माननीय पितरों का करें श्रद्धा से तर्पण

हमारी दीर्घायु, स्वास्थ्य की रखी शुभ कामना
हंस के किया हमारे लिए मुश्किलों का सामना
श्रद्धा से भोग स्वीकार कराके होते अनुभव विशेष
ब्राह्मण यथार्थ रीति सुनाते थे पितृ का सन्देश

श्राद्ध Meaning In Hindi
Brahma Kumaris
Bk Yogesh
Poem
श्राद्ध का दिव्य सन्देश 2

जब धन अर्जन करना ही रह गया सबका उद्देश्य
हर रीति रस्म व त्यौहार लगने लगते बिना लक्ष्य
तब भक्ति का होता आगाज़ शिव भक्ति से
फिर भी सब अनजान होते ईश्वरीय शक्ति से

अब परमपिता स्वयं सम्मुख सुना रहे गीता ज्ञान
राजयोग सिखाकर खिला रहे अधरों पर मुस्कान
सबको देना शुभ भावना यही श्राद्ध का राज़
खुश रहना ख़ुशी बांटना, ना करना नाराज़

सभी पूर्वजों के गुणों को करते हुए याद
स्वयं पूर्वजपन के नशे में रहना ही है श्राद्ध
सच्चा राजऋषि* बन, शिव को ही करें याद
सर्व पूर्वजों को शिव सन्देश दे,लें आशीर्वाद

राजऋषि = स्वराज्य अधिकारी (कर्मेन्द्रियों के राजा,ऋषि = बेहद के वैरागी)


बीके योगेश कुमार, नई दिल्ली


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