आत्मा का सम्पूर्ण अध्यात्मिक व वैज्ञानिक ज्ञान -TrueGyan

1531

Table of Contents

आत्मा का परिचय

आज मनुष्य ने साइंस द्वारा बड़ी-बड़ी शक्तिशाली चीजें तो बना डाली है, उसने संसार की अनेक पहेलियों का उत्तर भी जान लिया है और वह अन्य अनेक जटिल समस्याओं का हल ढूंढ निकालने में खूब लगा हुआ है, परन्तु ‘ मैं ’ कहने वाला कौन है, इसके बारे में वह सत्यता को नहीं जानता अर्थात वह स्वयं को नहीं पहचानता।

WHO AM I  ????
मैं कौन हूँ ???

✦ आज किसी मनुष्य से पूछा जाये कि- “आप कौन है ?” तो वह झट अपने शरीर का नाम, व्यवसाय, पद, जाति, धर्म, देश आदि द्वारा अपना परिचय बताता है। लेकिन यह तो जन्म के पश्चात प्राप्त हुई पहचान हैं। (Acquired Personality) है।

✦आध्यात्मिकता( आत्मा + अध्ययन) ही हमें इसका ज्ञान कराती है।जिस प्रकार एक उपकरण को चलाने हेतु ऊर्जा (बिजली) की आवश्यकता होती, उसी प्रकार शरीर को चलाने हेतु आत्मा रूपी ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

✦ मैं कहने वाली आत्मा है न कि शरीर, मैं आत्मा हूँ और ये मेरा शरीर।
मैं शब्द आत्मा की तरफ और मेरा शब्द शरीर की तरफ इशारा करते हैं। हम कहते है मेरा शरीर, मेरे हाथ , इससे साबित होता है कि मेरा शब्द कहने वाली आत्मा अलग है।

✦ आत्मा और शरीर का सम्बन्ध ड्राईवर और मोटर के सामान है जैसे मोटर में बैठकर ड्राईवर उसे चलाता है। वैसे ही आत्मा शरीर में रहकर उसका सँचालन करती है और शरीर से अलग अस्तित्व रखती है।

Hd Geeta Bodh Aatma Sakshatkaar Hindi 05

✦ गीता में आत्मा व शरीर को
पुरुष + प्रकृति
रथ + रथी
क्षेत्र + क्षेत्रज्ञ

के नाम से वर्णित किया है।

✦ मनुष्य को Human being कहते अर्थात
Humas (मिट्टी ,शरीर) + being (आत्मा)।

I + MY : मैं आत्मा + मेरा शरीर

यहाँ आप मनुष्य संरचना के स्थूल व सूक्ष्म तत्व को समझेंगे।

शरीर की संरचना 5 स्थूल तत्व

जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी, आकाश से बना है

✏उदाहरण :-

“क्षिति जल पावक गगन समीरा”
“पंच तत्व मिल बना शरीरा”

आत्मा की संरचना 7 सूक्ष्म तत्व

पवित्रता ,प्रेम , शांति ,सुख ,ज्ञान , आनन्द और शक्ति है।

✏उदाहरण :-

कबीर जी भजन
“पंच तत्व की बनी चदरिया,
सात तत्व की पूनी “
” नौ दस मास बुनन में लागे ,
मूरख मैली कीन्ही “
चदरिया झीनी रे झीनी……

Soul Introduction

आत्मा के मुख्य 3 अंग

इस प्रकार हैं:

मन – बुद्धि – संस्कार

✦ आत्मा एक सूक्ष्म पॉइंट ऑफ़ लाइट है उस पर कोई भी भौतिक शक्ति प्रभाव नही डाल सकती जिस तरह शरीर की कर्मेन्द्रियाँ है, उसी तरह आत्मा की भी तीन सूक्ष्म इन्द्रियाँ हैं मन, बुद्धि और संस्कार।

     जैसे परमाणु में सूक्ष्म Electron, Neutron और Proton होते उसी प्रकार आत्मा में सूक्ष्म मन, बुद्धि और संस्कार होते है।

◆ मन - Mind सकारात्मक व नकारात्मक विचार उत्पन्न करना। 
◆ बुद्धि-  Intellect सकारात्मक व नकारात्मक निर्णय लेना ।
◆ संस्कार- (resolves) सकारात्मक व नकारात्मक कार्यों की पुनरावृत्ति करना।

■ जिस प्रकार Electric Energy भौतिक ऊर्जा का स्रोत है उसी प्रकार Eternal Energy (आत्मा) Spiritual Energy का स्रोत है।

 Electric Energy में तीन शक्तियां होती है।
1) Magnetic power
2) Vibration power
3) Radiation power

ठीक उसी प्रकार आत्मा में भी ये तीनों शक्तियां होती हैं। जिसके प्रति हम संकल्प करते उसको आकर्षित करते, संकल्प तरंगो द्वारा उस तक पहुंचते भी है, विकिरण शक्ति द्वारा संकल्पो को एकाग्र कर उस व्यक्ति के मनोदशा को बदल भी सकते, उसकी बीमारी को भी ठीक कर सकते है।

Hd Geeta Bodh Aatma Sakshatkaar Hindi 13

– मन

✦ मन – यह आत्मा की विचार शक्ति है मन की शक्ति के द्वारा ही आत्मा सोचती है।मन की गति आवाज की गति से भी तीव्र है।

     मन और हृदय में अन्तर है क्योंकि हृदय शरीर का भौतिक अंग है जो रक्त संचारण को बनाये रखता है परंतु मन तो आत्मा की शक्ति है।

– बुद्धि

✦ बुद्धि – यह आत्मा की तर्क और परखने की शक्ति है इसका कार्य है समझना, निर्णय लेना, तर्क करना।

      बुद्धि और मस्तिष्क में भी अन्तर है क्योंकि मस्तिष्क शरीर के नियंत्रण कक्ष के रूप में है लेकिन बुद्धि आत्मा की निर्णायक शक्ति है।

– संस्कार

✦ संस्कार:- यह आत्मा के किये हुए कर्मो का प्रभाव है जो आत्मा अपने साथ अगले जन्म में ले जाती है इसके आधार पर ही फिर मन में संकल्प उत्पन्न होते है।आत्मा प्रकाश और शक्ति से युक्त एक पॉइंट ऑफ़ लाइट है।भृकुटि में निवास करती है।

✦ संस्कार के बारे में  उदाहरण

दो Identical twins के संस्कार भी same नही है।उन्हें गर्भ में भी एक जैसा ही वातावरण मिलता है।उनका nutrition भी same placenta से होता है।घर में भी उन्हें एक जैसा ही पालना होती है।फिर भी उनका संस्कार अलग क्यों होता है ?
क्योंकि वो पिछले जन्म के अपने संस्कार साथ लेके आते है।

✦ संस्कार मुख्यतः पांच प्रकार है।

1. अनादि संस्कार: आत्मा के ओरिजिनल संस्कार पवित्रता प्रेम शांति सुख आनंद ज्ञान व शक्ति
2. आदि संस्कार : दैवी गुण युक्त
3. पूर्व जन्म के संस्कार
4. खानदानी संस्कार (Genetical)
5. संग व वातावरण द्वारा दृढ़ता के संस्कार (Will power )

संस्कारों के बारे में डिटेल में जानने के लिए (Click Here)

Hd Geeta Bodh Aatma Sakshatkaar Hindi 10

शरीर के मुख्य अंग

✦ शरीर के मुख्य अंगो का वर्णन इस प्रकार है। शरीर के मुख्य 5 अंग हैं :-

आँख ,नाक , कान,मुख , हाथ – पैर। जिनके द्वारा हम देखने, सुनने, सोचने,बोलने, खाने , कर्म करने, आदि कार्य करते हैं।

मैं आँख , कान और मुँह नहीं हूँ ,मैं आँख द्वारा देखने वाली कान द्वारा सुनने वाली और मुख द्वारा बोलने वाली इन सबकी मालिक आत्मा हूँ।

✦  उदाहरण के लिए:-

जैसे मोबाइल में एक छोटी सी चिप होती है उसमें ही सब कुछ समाया होता है, जितना भरना चाहो उतना भर सकते है। इसमें हम बहुत कुछ भर सकते है…
फ़ोटो , सांग्स ,ऑडियो,वीडियो
अन्य फ़ाइल और ज़रूरी डॉक्यूमेंट..
और जब चाहे तब उसे देख और सुन सकते है।
ठीक वैसे ही हमारे शरीर को चलाने वाली चिप, शक्ति को आत्मा कहा जाता है।
जैसे हरेक चिप की क्षमता अलग होती है वैसे हरेक आत्मा का पार्ट अलग अलग होता है और हरेक आत्मा अधिकतम 84 और कम से कम 1 जन्म लेती है।

✦ मोबाइल ख़राब हो जाने पर भी चिप के contents तो उसमें रहते है और मोबाइल की चिप को निकाल कर दूसरे मोबाइल में डालते तो वह सब फिर से देख और सुन सकते है जो चिप में आलरेडी है।
वैसे जब शरीर छूट जाता तब आत्मा उससे निकल कर दूसरा जन्म लेती है।

✦ आत्मा को साबित करना वैसे ही है जैसे आप जिस हवा में श्वास ले रहे हो, और आपको साबित करना है हवा है, जबकि वह दिखती नही लेकिन महसूस होती है।
इसी तरह आत्मा दिखती नही है लेकिन साक्षी होकर देखिए तो महसूस होता है इस शरीर को चलाने वाली शक्ति आत्मा ही है।

कैसे साबित (Proof) करें कि आत्मा 7 गुणों से युक्त है ?

पवित्रता, प्रेम, शांति, सुख, ज्ञान, आनन्द और शक्ति

✦ जिस प्रकार शरीर 5 तत्वों से मिलकर बना है पानी की कमी होने से प्यास लगती है,पानी की जगह घी ,तेल या अन्य कोई तरल पदार्थ नहीं ले सकता, ऑक्सीजन की कमी से श्वांस बंद हो जाता,उसकी जगह इथेन ,मीथेन गैस नहीं ले सकते, पृथ्वी तत्व की कमी से भूख लगती….आदि
इससे सिद्ध होता जो वस्तु जिन पदार्थों या घटकों से बनी है ,उसकी पूर्ति के लिए उन्हीं पदार्थों या घटकों की मांग (Demand) करती है।

✦ उसी प्रकार आत्मा में जब पवित्रता प्रेम शांति सुख आनंद  ज्ञान शक्ति की कमी होने लगती तो वह उनकी मांग (Demand) करने लगती है। इससे सिद्ध होता आत्मा उन सभी गुणों से मिलकर बनी है, गुणों से युक्त है।

Hd Geeta Bodh Aatma Sakshatkaar Hindi 09

✦✦आत्मा का स्वरूप ✦✦

आत्मा एक अति सूक्ष्म दिव्य ज्योति बिंदु रूप है इसलिए व्यक्ति जब शरीर छोड़ता है तो दीपक जलाते अर्थात शरीर में स्थित चेतन्य ज्योति के यादगार स्वरूप ज्योति जगाते है। तभी लोग कहते हैं वह चैतन्य ज्योति चली गई (the light of the life has gone).आत्मा एक चमकते हुए सितारे के समान है।एक प्रकाश पुंज है।अलग-अलग धर्म ग्रंथों में भी आत्मा के स्वरुप के विषय में बताया गया है उसके बारे में चर्चा करते हैं :-

श्वेताश्वतर उपनिषद् 5/9 में कहा गया

“बालाग्रशत भागस्य  शतधाकल्पि तस्य च “

अर्थात :- मनुष्य के सिर के बाल के ऊपरी हिस्से को 100 भागों में बांट दिया जाए, फिर प्रत्येक भाग के 100 हिस्से कर दिए जाएं फिर जो माप आएगा,असल में आत्मा का वही आकार होता है अर्थात आत्मा का जो आकार है वह सूक्ष्म अति सूक्ष्म ।


✦  मुंडकोपनिषद् 3/1/9 मेँ  कहा गया

“एषोणुरात्मा चेतसा वेदितव्य: “


अर्थात:-आत्मा का आकर एक अणु जितना होता है।

✦ आर्यसमाजी

आर्यसमाजी भी आत्मा को अणु मानते हैं, विभु नहीं ।

✦ गरुड़ पुराण

गरुड़ पुराण के अनुसार ही आत्मा का आकार अंगुष्ठ आकार से बड़ा नहीं है।

✦ इसके अलावा अन्य ग्रंथों और पुराणों में भी आत्मा की व्याख्या सूक्ष्म से सूक्ष्म ज्योति के आकार में की गई जो हमारे शरीर में भृकुटी के बीच निवास करती है।

श्री गुरु ग्रंथ साहब जी 

श्री गुरु ग्रंथ साहब जी में आत्मा के विषय में कहा गया:-

“मन तु ज्योत स्वरूप है, अपना मूल पछांण ”

(P.441) अर्थात:- अरे मन (आत्मा को दर्शाया) ! तू ज्योति स्वरूप है अपना मूल पहचान।

हे मेरे मन तू उस परमात्मा के नूर की तरह है अर्थात the nature of soul is just like a supreme light.

कबीर ग्रंथ साखी

कबीर ग्रंथ साखी पेज नंबर 58 कबीर साहब जी ने आत्मा को ज्योति का प्रकाश स्वरूप माना है। शरीर दीपक है और आत्मा बत्ती है । उन्होंने कहा कि

” मंदिर माँही झबूकति, दीवा कैसी ज्योति।
हंस बटाऊ चली गया ,काढ़ौ घर की ज्योति।”

अर्थातः- मनुष्य मंदिर या भवन के समान है जो ज्योति स्वरुप आत्मा से दीप्तिमान है ज्योति का विलय हो जाने पर इस ज्योति भवन में अंधकार छा जाता है और निष्प्राण शरीर व्यर्थ वस्तु की तरह घर से हटा दिया जाता है।
Hd Geeta Bodh Aatma Sakshatkaar Hindi 19

गीता

गीता अध्याय 08/10 में बताया गया आत्मा के भ्रकुटी में स्थित होने के कारण ही योगियों की चेतना भर भ्रकुटी में केंद्रीभूत होती है।

✦ श्रीमद् भगवत गीता अध्याय दूसरे के 25 वे श्लोक में कहा गया

“अव्यक्तोऽयमचिन्त्योऽयमविकार्योऽयमुच्यते।
तस्मादेवं विदित्वैनं नानुशोचितुमर्हसि।।”

अर्थात:- आत्मा अचिंत्य और अव्यक्तमूर्त्त है अर्थात एक ज्योति बिंदु है । यह विभु नही। अचिंत्य का अर्थ है सूक्ष्मातिसूक्ष्म अथवा मन द्वारा आग्राह्य (inconceivable) वह तो बिंदु अथवा पॉइंट ही हो सकता है । पॉइंट अथवा बिंदु ही अच्छेध भी है और अमर अथवा अविनाशी भी।

पतंजलि योग दर्शन

पतंजलि योग दर्शन में भी बताया गया भृकुटी के मध्य में स्थित आज्ञा चक्र होता है जो आत्मा का स्थान माना जाता है। और इसे तीसरा नेत्र भी कहा जाता है आत्मा का तीसरा नेत्र ज्ञान नेत्र और ध्यान के द्वारा आत्मा रूपी प्रकाश को भ्रकुटी के मध्य में ही देखा जाता है।

जॉमट्री गणित

✦ आत्मा का स्वरूप ज्योति बिंदु रूप है तो बिंदु का कोई माप थोड़े ही होता है जॉमट्री में भी इसका कोई आकार नहीं माना जाता । बिंदु को ना तो आयताकार माना जाता है, ना वर्गाकार ना वृत्ताकार और ना ही उसका अन्य कोई आकार है बल्कि रेखागणित के अनुसार भी निराकार ज्योतिबिंदु ही कहना ठीक है।

मेडिकल साइंसेस

मेडिकल साइंसेस के द्वारा भी यह प्रमाणित किया गया कि मस्तिष्क के भीतर हाइपोथैलेमस और पिट्यूटरी ग्लैंड के बीच में आत्मा रूपी ऊर्जा शक्ति एनर्जी का निवास स्थान है। और यहीं पर ही आत्मा लघु मस्तिष्क (cerebellum) तथा वृहद मस्तिष्क (cerebrum) से संबंधित है और स्नायु मंडल (motor nerves and sensory nerves) द्वारा कार्य करती है तथा अनुभव करती हैं।
मेडिकल साइंस इसे Third Eye of Wisdom कहता है।

Hd Geeta Bodh Aatma Sakshatkaar Hindi 07

विज्ञान

विज्ञान ने इसे Energy कहा
“Energy neither created nor destroyed”

✦✦आत्मा का निवास स्थान कहा होता है ?? ✦✦

आत्मा एक चेतन एवं अविनाशी ज्योति-बिन्दु है जो कि मानव देह में भृकुटी में निवास करती है।जैसे रात्रि को आकाश में जगमगाता हुआ तारा एक बिन्दु-सा दिखाई देता है, वैसे ही दिव्य-दृष्टि द्वारा आत्मा भी एक तारे की तरह ही दिखाई देती है। इसीलिए एक प्रसिद्ध पद में कहा गया है:

“भृकुटी में चमकता है एक अजब तारा, गरीबां नूं साहिबा लगदा ए प्यारा ”
Soul And Body Truegyantree
SOul and Body truegyantree

✦ ✦ इसके कुछ उदाहरण :- ✦ ✦

● मन्दिर में माथे पर टीका लगाया  जाता है।
● अक्सर गुरु लोग तिलक भी यही लगाते है।
● महिलायें भी बिंदी यही लगाती हैं।
● चर्च में यही पर एक पवित्र जल के छींटे माथे पर देते है।तथा क्रॉस को माथे से लगते है।
● आम व्यक्ति भी जब अपनी किस्मत के लिए “हाय मेरी किस्मत” कहता तो
कभी दिल पर हाथ नही , मस्तिष्क पर ही हाथ रखते।
● बहुत गहरी सोच में हो तो भी मस्तिष्क पर हाथ रख कंसन्ट्रेट करता है।
● आजकल जो Meditation सिखाया जाता है। वो भी मस्तिष्क पर ही एकाग्र कराते है।

✦ कोई कहते हृदय में आत्मा का निवास स्थान है :-

■ कईयों से इस बारे में पूछने पर की आत्मा का निवास स्थान कहाँ है तो वे कहते सारे शरीर में व्याप्त होती या तो ह्रदय में।

तो जब किसी का heart transplant होता है तो एक की आत्मा दूसरे में आ जानी चाहिए मगर ऐसा कुछ नहीं होता है। तो इससे साबित होता है की आत्मा ना पूरे शरीर में ना ही ह्दय में रहती।

अब पूरी बॉडी में कौनसा organ बहुत important और कौनसा ऐसा system है जिसके बिना जीवन नामुमकिन है ?

✦ Liver transplant होता है। liver cell में  regenerate होने की क्षमता है।

✦ एक किडनी पर भी मनुष्य जी सकता है।

✦ Lung में कोई problem हो तो mechanical ventilator पर रखते है। lung भी transplant होते है।

तो अब बाकि रहा ब्रेन जिसका transplant आज तक किसी का हुआ नही है और नहीं होगा। ब्रेन के बिना कोई मनुष्य जी नही सकता।

✦ Coma वाला पेशेंट भी बहुत दिन जीते  है क्योंकि उसका ब्रेन & CNS काम करता है।

वैज्ञानिक तर्क

■ आइये देखते है वैज्ञानिकों के पॉइंट ऑफ़ व्यू से आत्मा के अस्तित्व की क्या राय है?

✦ विज्ञान के अनुसार हल्की चीज हमेशा ऊपर रहती है कई लोग कहते है कि आत्मा हृदय में निवास करती है लेकिन हृदय तो केवल रक्त संचारण का केंद्र है जबकि आत्मा मस्तिष्क के द्वारा पूरे शरीर का नियंत्रण करती है। हम देखते है कि शरीर की महत्वपूर्ण कर्मेन्द्रियाँ जिनके द्वारा आत्मा कार्य और अनुभव करती है वो मस्तिष्क के आस पास ही है।

✦ मैक्स प्लैंक

इस दुनिया के महान वैज्ञानिक मैक्स प्लैंक ने बताया कि मानव शरीर में कहीं एकमात्र ऐसा बिंदु है,  जहां पर साइंस के नियम लागू नहीं होते, यह बिंदु ही मनुष्य के सुख और दु:ख का कारण है।कहने को यह बिंदु है पर यह अपने आप में एक पूरा संसार है।

Hd Geeta Bodh Aatma Sakshatkaar Hindi 11

आत्मा इन आँखों से दिखाई क्यों नहीं देती है? कारण ??

आंखें मानव की जो बहुत छोटी सी पुतली है जिसके द्वारा ही इस संसार को देखता है।
मानव की आँख सब कुछ नही देख सकती। बहुत से Signal, Waves, Ultraviolet Rays, रिमोट से निकलने वाली किरणे, बहुत सी तरंगों को नहीं देख सकते बहुत सी वाइब्रेशन जैसे टीवी के रिमोट के अंदर से निकलने वाली किरणें ऐसी अनेक किरणें जिसे हम अपनी आंखों से नहीं देख सकते इसका बहुत ही कम हिस्सा हमारी आंख देख पाती है।
तो यानि ऐसे आत्मा को इन आखों के द्वारा नही देख सकते।

1- तो आत्मा अति शूक्ष्म है
2- इन 5 तत्वों से बनी आँखों द्वारा हम 5 तत्वों से बनी वस्तु ही देख सकते हैं। जैसे सोने से बनी चुम्बक सोना, लोहे से बनी चुम्बक लोहा ही खींच सकती।

        आत्मा तो इन 5 तत्वों से बनी ही नहीं है। इसलिए दिख नहीं सकती। हाँ अगर आत्मा को देखना है तो इन 5 तत्वों के भान (Consciousness ) से परे जा कर संभव है।

कुछ बुद्धिजीवी वैज्ञानिक कहते है कि आत्मा को हम देख नही सकते, उनका अस्तित्व नहीं है, पर जरूरी नहीं हर चीज को हम देख सके। जैसे गुलाब की खुशबु है उसे हम देख नहीं सकते तो इसका मतलब ये तो नहीं ना कि उनका अस्तित्व नहीं है, पर हम उनको महसूस कर सकते हैं, उसी तरह आत्मा को देखा नहीं जाता महसूस किया जाता है।

✦ कार्ल गस्तव जंग

कार्ल गस्तव जंग जोकि अच्छे मनोवैज्ञानिक हुए हैं, उन्होंने कहा यह कोई ऐसी चीज़ नहीं है जोकि किसी साधन द्वारा आत्मा का फ़ोटो खींच कर बताया जा सके। 
लेकिन कैरेलिअन कैमरे द्वारा मनुष्य के शूक्ष्म शरीर का  (Aura ) का फ़ोटो लिया जा सकता है। आत्मा शरीर में विद्यमान है जो एक Aura का निर्माण करती है जिसे हम प्रकाश की काया भी कहते हैं।

श्रीमद्भगवद्गीता

✦ आत्मा के विषय में श्रीमद्भगवद्गीता कहती है:-

नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैन  छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ।।23।।

भावार्थ :-इस आत्माको शस्त्र काट नहीं सकते, आग जला नहीं सकती, जल गला नहीं सकता और वायु सूखा नहीं सकता ।


✦ श्लोक :

वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरो पराणि। शरीराणि विहाय जीर्णा- न्यन्यानि संयाति नवानि देही ।।

भावार्थ : जीर्ण वस्त्र को जैसे तजकर नव परिधान ग्रहण करते हैं वैसे ही जर्जर तन को तजकर आत्मा नया शरीर धारण करता है।

✦ शरीर हर क्षण नश्वर है

शीर्यते इति शरीरम् ।।

हमे बचपन की बात भी स्मरण होती है ।।  श्लोक से सिद्ध है की शरीर तो प्रति क्षण बदलता है Epithelium New आ जाती है।। फिर आत्मा में ही मन शक्ति द्वारा हमे स्म्रति होती है यह भी एक प्रूफ है।।

Hd Geeta Bodh Aatma Sakshatkaar Hindi 25

पिछले जन्म की याद और स्मृति

✦ जब एक आत्मा एक शरीर छोड़ती है  तो दूसरा शरीर धारण करती है,कुछ बालक आत्माओ को अपने past life के बारे में पता होता है की पास्ट लाइफ  की सारी जानकारी होती है फिर सर्च करने पर पता चलता है की बाते सारी सही है ,इसे सइंस्टिकली प्रूव किया गया है , इन बातो से पता चलता है की आत्मा अजर अमर अविनाशी है ,जिसे कोई destroy नहीं कर सकता।

✦ इसके अलावा कई बार हमने देखा है Out of Body Experience की जब किसी कि Death होती है और थोडी देर मे वापस जान आ जाती है तो वो इन्सान सबको बताता है कि शरीर से निकलने के बाद मैंने ये ये देखा तो ये किसने देखा शरीर तो मर गया था । तो ये आत्मा ने देखा।

✦ अगर ये Prove है की हम कई जन्म लेते है तो Definitely हम ये शरीर नही है जो नश्वर है। हम एक अविनाशी शक्ति पुंज आत्मा हैं।

✦ इसे प्रूफ करने के लिए मनोचिकित्सक Hypnotism का सहारा लेते जिसमें मन की गति को इतनी धीमी कर देते है और पीछे के जन्म में ले जाते हैं, चूँकि चिप रुपी आत्मा में सब फीड होता है उसकी पास्ट Lives की सभी बातें तो Patient को उनका Past Birth याद आने लगता है। जब पिछले जन्म में किसी व्यक्ति को ले जाते है उसे हम पास्ट लाइफ हिप्नोटिक रिग्रेशन कहते हैं, पिछले जन्म में वो कोई और शरीर में व अलग स्थान  पर वो ही व्यक्ति पार्ट प्ले कर रहा था। पिछले 30-40 जन्म तक की भाषा व समय व लिंग (स्त्री या पुरुष)भी बताते हैं।

✦ वैज्ञानिकों ने इस सिद्धांत को आर्वेक्स्ट्रेड ऑब्जेक्टिव रिडक्शन (आर्च-ओर) का नाम दिया है। इस सिद्धांत के अनुसार हमारी आत्मा मस्तिष्क में न्यूरॉन के बीच होने वाले संबंध से कहीं व्यापक है। दरअसल, इसका निर्माण उन्हीं तंतुओं से हुआ जिससे ब्रह्मांड बना था। यह आत्मा काल के जन्म से ही व्याप्त थी।

✦ भारत में सदियों से पारंपरिक रूप से यह माना जाता रहा है कि आत्मा का अस्तित्व होता है और श्राद्ध पक्ष में उनका आह्वान भी किया जाता है।

✦ विज्ञान का अर्थ ज्ञान के उस सिद्धान्त से है जो पदार्थो में छिपी अंतःशक्ति को खोजता है। वहीं धर्म का संबंध ज्ञान के उस सिद्धांत से है, जो चेतना के भीतर छिपी हुई अंत:शक्ति को खोजता है।

✦ आज आवश्यकता है, धर्म और विज्ञान के संतुलन की। विज्ञान सुविधा देता है, धर्म शांति देता है। धर्म और विज्ञान एक दूसरे के परिपूरक हैं। जैसे शरीर और आत्मा का कोई विरोध नहीं, वैसे ही धर्म और विज्ञान का कोई विरोध नहीं है।

Hd Geeta Bodh Aatma Sakshatkaar Hindi 18

विज्ञान मनुष्य का शरीर है और धर्म उसकी आत्मा

✦ ध्यान रखें कि जैसे शरीर मालिक नहीं हो सकता है, वैसे विज्ञान भी मालिक नहीं हो सकता। अगर विज्ञान के युग में धर्म नहीं होगा, तो विज्ञान मृत्यु का कारण बन जाएगा। विज्ञान बहुत अच्छा होते हुए भी एक अति है, जो हमेशा खतरनाक है। धर्म उसे संतुलन देकर मनुष्यता को इसके खतरे से बचा सकता है। इसलिए पूरी दुनिया में धर्म के पुनरुत्थान का समय आ चुका है। धर्मपरायणता मनुष्य के मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करती है।विज्ञान बहिमरुखी है, जबकि धर्म अंतमरुखी।

✦ व्यापक को खोजने की नहीं, पहचानने की आवश्यकता है। अपने आपको आत्मा निश्चय करने की आवश्यकता है। आत्म निश्चय होने पर शक्तियों की प्राप्ति होती है, शक्तियों को खोजने की जरुरत नहीं पड़ती।

✦विज्ञान मस्तिष्क को शरीर का संचालन करने वाला प्रमुख अव्यय मानती है परंतु बिना आत्मा के मस्तिष्क कुछ नहीं कर सकता। आत्मा के बिना मस्तिष्क की मृत्यु हो जाती है। आत्मा के बिना मस्तिष्क एक सेकंड भी जीवित नहीं रह सकता। यदि मस्तिष्क ही शरीर का संचालन करने वाला प्रमुख अव्यय होता तो विज्ञान ने अब तक मृत्यु पर विजय प्राप्त कर ली होती।

✦ विज्ञान ने भौतिक उन्नति बहुत की लेकिन उससे सुख, शांति, आनंद की प्राप्ति नहीं हुई जिसकी आज अत्यंत आवश्कता है l उसे केवल आध्यात्मिकता से प्राप्त किया जा सकता है।

Hd Geeta Bodh Aatma Sakshatkaar Hindi 14

आध्यात्मिकता अर्थात आत्मा का अध्ययन l जिस प्रकार एक अभिनेता किसी भूमिका का निर्वाह करता है लेकिन उसे मालूम होता है कि जिसकी भूमिका वह कर रहा है वह वही नहीं हैं l उसी तरह आत्मा भी इस विश्व रंगमंच पर शरीर के माध्यम से अलग-अलग भूमिका अर्थात एक अभिनेता का पार्ट बजाती है।

✦ जिस तरह एक उपकरण को चलाने के लिए ऊर्जा की आवश्कता होती है उसी प्रकार शरीर को चलाने के लिए शक्ति की जरूरत पड़ती है l जिसे आत्मा कहते हैं, चैतन्य , जीवंत , सनातन सत्ता।

रेमण्डस मूडी ने सत्य घटनाओं पर आधारित मौत के बाद पुनः जीवित Life After Death  पुस्तक लिखी है l जिसमें अनेको अनुभव दिये है जो मरने के बाद जीवित हो जाते हैं l अमेरिका के एक मरीज जिसका नाम जोन ली था मृत घोषित होने के पश्चात उसकी श्वास की गति शुरू हो गई l उन्होने अपना अनुभव इस तरह बताया है :

✦ ऐसा अनुभव हुआ पाँच तत्वों की काली गुफा में मैं एक सफेद लाईट हूँ l इसको पार करने के बाद सफेद लाईट और आगे लाल सुनहरे प्रकाश  की दुनिया दिखी l वहाँ सुन्दर प्रकाशमय ज्योति थी, जो मुझे सुख शांति अनुभव करा रही थी l थोड़ी देर में मुझे सुनाई दिया कि आपके इस शरीर के  कर्म बंधन पूर्ण नहीं हुए है l अतः आपको वापस भेजा जा रहा है l और मैं पुनः इस शरीर मैं आ गया।

✦इस प्रकार वैज्ञानिको ने भी स्पष्ट कर दिया है कि शरीर और आत्मा अलग-अलग हैं l शरीर जड़ है और आत्मा चैतन्य हैं।

परमात्मा का समूर्ण ज्ञान Click here

Ashish
Hello, I'm Ashish Bansal, a passionate and curious individual with a unique blend of interests and talents. As a spiritual soul with a deep connection to inner peace and wisdom, I find joy in exploring the profound questions of life. My inquisitive nature drives me to constantly seek knowledge, whether through philosophy, meditation, or the teachings of spirituality. In the professional realm, I wear many hats. I'm a content writer, philosopher, YouTuber, and creator, dedicated to crafting meaningful and engaging content that resonates with audiences. My work spans across website development, social media management, and video production, where I help brands and individuals boost their digital presence. But my journey doesn't end there. I'm also a passionate bike rider, finding freedom and inspiration on the open road. As a meditator and teacher, I guide others on their spiritual paths, sharing the insights I've gained through my own experiences. Above all, I'm a Godly student, continually learning and growing in my faith and understanding of the divine. Whether I'm building a brand's online portfolio or exploring the depths of human consciousness, my goal is always the same: to create, inspire, and make a positive impact on the world.

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here