परमात्म शिक्षाएं

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1)

जो हुआ, अच्छा हुआ।
जो हो रहा है, अच्छा हो रहा है।
जो होगा, वह भी अच्छे से अच्छा ही होगा …
परंतु तब…, जब हम कोई भी बात, समस्या या फिर कोई परिस्थिति को अपनी मन-बुद्धि से पकड़कर ना रख लें…। क्योंकि नुकसान, बातों को पकड़कर रखने में होता है, और किसी चीज़ में नहीं…।

जैसे कोई बात हुई, और अगर हमने बोलकर छोड़ दिया, तब भी ठीक है … परन्तु अगर बोलकर, पकड़ लिया – गलत तो वहाँ हो जाता है। अगर रोकर हल्के हो गए और छोड़ दिया, तो भी ठीक है … परन्तु अगर रोकर बातों को पकड़ लिया, अपने दुःख को पकड़ लिया, तो वो है गलत…।

इसके लिए सरल सा उपाय है कि जब कोई बात हो जाए, तो उस समय हम अपने स्वमान में स्थित हो जाएं … कि क्या बड़ी बात है, जब भगवान मेरा साथी है, तब तो मेरा आज, मेरा कल और आने वाला कल – सब अच्छा है।

2)

Comparison और competition आत्मा को पीछे ले जाता है। क्योंकि समय तो ऊँचाई की ओर जाना का है … और यह comparison और competition आत्मा को केवल रोकता ही नहीं, बल्कि पीछे की ओर कर देता है।

3)

मन से भारी का मतलब ही है कि question ही question हैं अंदर … अर्थात, क्या करूँ, कैसे करूँ, समझ में नहीं आता, कैसे होगा, होता तो कुछ है नहीं…! इस तरह के question वाली आत्मा जो होती है, वह भारी ही रहती है।

और इसके विपरीत…, जो आत्मा यह सोचती है कि परमात्मा है ना, सब पहले से लिखा हुआ है वही होगा जो होना है, हुआ ही पड़ा है, क्या बड़ी बात है…!
वह कल्याणकारी परमात्मा शिव आया है, तो मेरा कल्याण नहीं होगा, तो किसका कल्याण होगा…! ऐसे संकल्पों वाली निश्चयबुद्धि आत्मा जो है, वह समाधान स्वरूप है, वह कैसी भी परिस्थिति में हल्की रह सकती है।

4)

हम अपने संबंध-संपर्क में आने वाली हर आत्मा की importance को समझें। इसके लिए, हम हर आत्मा की qualities को देखें, तो फिर हमारा व्यवहार सर्व के प्रति प्रेमपूर्वक होगा।

अर्थात् अंदर से जो भावना है, वह शुभ रहेगी हमारी सर्व के प्रति … और यह शुभ भावना, सामने वाली आत्मा का भी परिवर्तन कर देती है अर्थात, जब हम स्वयं को निमित्त समझ शुभ भावना से, उसके कल्याण अर्थ, परमात्मा शिव की श्रीमत प्रमाण, किसी को भी समझानी देंगे, तो उस समझानी का positive result निकलेगा और जिससे हमारा भाग्य भी ऊँच बन जायेगा।

5)

स्वयं के परिवर्तन के लिए, जिन-जिन संकल्पों की ज़रूरत है, तो अब परमात्मा शिव चाहता है कि हम केवल और केवल वो ही संकल्प (विचार) करें।
एक परमात्मा शिव की याद करैं तो सारे पापा कट जायेंगे उसे हि तो पाप कटेश्वर कह जाता है…। ज्योतिर्बिंदु शिव पिता परमात्मा को याद करने से… |

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