शराब पीना, क्रोध, नॉन वेज (मीट) खाना कैसे छोड़े

How to left Drink Alcohol & Eat Non-Veg from Meditation
प्रश्न- हमारे घर के कुछ सदस्य है उनकी कुछ आदते बुरी या बेकार जैसे शराब पीना 🍷,क्रोध करना 😡 ,नॉन वेज (मीट) खाना इन्हें हम कैसे बदले❓❓

✪ शराब पीना 🍷,क्रोध करना , नॉन वेज (मीट )खाना, आदि आदतें एक दूसरे से सूक्ष्म रूप से जुडी हुई हैं।शराब का सेवन व्यक्ति तब करना शुरू करता हैं जब :-
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  • एक तो उसके साथी-संबंधी इसका अक्सर सेवन करते हों।
  • वह जीवन से असंतुष्ट हों।
  • किसी प्रॉब्लम के स्ट्रेस या परेशानी से गुजर रहा हो।
  • अगर ऐसे में उसे सही रास्ता दिखाने वाला साथी-सहयोगी न मिले तो इस कभी-कभी के शराब 🍷के सेवन को व्यसन में परिवर्तित होने में कोई समय नहीं लगता हैं।

✪ यह आज घर-घर का प्रॉब्लम है। इसका समाधान अगर कोई अपने घर में करना चाहते है तो सबसे पहले खुद को पॉजिटिव बनाना होगा क्योंकि सामने वाला अगर नेगेटिव साइड से मजबूत है तो हमें भी पॉजिटिव साइड से मजबूत बनना पड़ेगा।यह बहुत मुश्किल नही है।

✪ हमें हर परिस्थिति में दूसरों के संस्कारों का प्रभाव अपने ऊपर आने से बचना होगा तभी हम उनकी मदद कर पाएंगे।यदि हम स्वयं परेशान होंगे तो समस्या पूरे परिवार में बढ़ती जायेगी और हम उसका समाधान नहीं निकाल पाएंगे अतः जरूरत है पहले स्वयं को सशक्त करने की।जिसके लिए राजयोग आपकी मदद करेगा।

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✪ आपको स्वयं को इतना सशक्त करना होगा कि आप पर दूसरों के नकारात्मक संस्कारों का प्रभाव न पड़े साथ ही आपको अपने अंदर सकारात्मक विचारों, गुणों व शक्तियों का विकास करना है जिससे आप अपने सकारात्मक व्यवहार से पूरे परिवार को सम्भाल सकें और सबकी मदद कर सकें।

✪ उस व्यक्ति के प्रति पहले बिना शर्त प्यार व सम्मान अपने मन में भरना होगा। जिससे आपके मन में उस इंसान प्रति जो नफरत घृणा का भाव है नकारात्मक एनर्जी का फ्लो है वो रुक जाये। उसी से उस आत्मा को शक्ति का सहयोग आपसे मिलेगा और परिवर्तित होगा।

✪ सबसे पहले अपनी स्थिति को मजबूत बनाये वो हम पर गुस्सा करे तो हमे उन पर गुस्सा नही करना है।
वो तो शराब 🍷के नशे में है पर हम तो नही है ना हमें उनसे प्यार से बात करनी है क्योकि कहा भी जाता है जहाँ गुस्से या क्रोध से बात ना बने वहाँ प्यार से या शान्ति से बात बन जाती है।

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✪ उन्हें कभी भी सीधा -सीधा ना बोले की आप अच्छे नही हो या आपकी ये आदत ठीक नही है इससे वो चिड़ जायेंगे है और ज्यादा ही नशा करेंगें क्योंकि आप उन्हें टोकते हो कि आप नशा कर रहे हो तो आप उनकी वो आदत को ऊर्जा दे रहे हो ।पर यदि कभी ऐसा हो की उन्होंने नशा नही किया हो तो कहना कि आप कितने अच्छे हो आपने नशा करना कम कर दिया ऐसे में उनकी नशा न करने की आदत को ऊर्जा मिलेगी तो वो छोड़ पायेंगे।

✪ जो भी नशा🍷करता है वह दुनिया का कमजोर आदमी होता है तब ही तो उसे न अपने शरीर की चिन्ता होती है और ना ही किसी इज्जत की तो एेसे आदमी के प्रति दया की भावना रखे।
जब उनका मूड ठीक हो वो नशे में ना हो तब उनसे उनकी मन की बातों को जानने की कोशिश करे कि वो एेसा क्यों करते है।हो सके तो कारण का निवारण करें।

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✪ जिस गलत पदार्थ का वो सेवन करता है उसके द्वारा होने वाले स्वास्थ्य के प्रति नुकसान का बोध व अहसास उस आत्मा को कराना है।


जैसा अन्न वैसा मन
जैसा पानी वैसी वाणी
जो करेगा सो पायेगा।

✪ कहते है जैसा अन्न वैसा मन । वैज्ञानिको ने भी यह प्रमाणित किया है कि भोजन का मन पर प्रभाव पड़ता है। साइंस रिसर्च के द्वारा एक नया कॉन्सेप्ट खासकर हेल्थ इंडस्ट्री में आया है कहता है आप वो हैं जो आप खाते हैं l इसलिये इस प्रकार का भोजन लेना चाहिए l जिसका हमारे ऊपर सतोप्रधान प्रभाव पड़े।

🙏कृपया ध्यान दें:

👉शराब पीने वाले (अल्कोहॉलिक ) व्यक्ति के साथ एक बहुत बड़ी समस्या यह होती है कि किसी भी बीमारी के समय डॉक्टर्स उसको दवा की heavy dose नहीं दे सकते क्योंकि वह उसे सहन नहीं कर सकता। इमरजेंसी के समय उचित दवा ना मिलने से ऐसे व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।

✪ आप भोजन पकाते समय, ऐसे संकल्प करिये कि निराकार परमात्मा शिव की पवित्रता की किरणे मुझसे होकर भोजन में जा रही हैं इससे आपके संकल्पो के प्रकम्पनो से भोजन प्रसाद बन जायेगा।

✪ यह प्रसाद उन आत्माओं को खिलाइये और जब वे भोजन ग्रहण कर रहे हो तब आप निराकार परमात्मा शिव का आह्वान करिये और कहिये कि निराकार परमात्मा शिव इन आत्माओं को सही मार्गदर्शन दो l रोज ही अमृतमय भोजन को स्वीकार करने से स्वयं ही तामसिक भोजन से धीरे-धीरे किनारा करते जायेंगे।

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✪ पानी को रोज सबेरे पूरे परिवार के लिये चार्ज करके रखे l उसे ही ग्रहण करें।

✪ हमारी दृस्टि उनके आत्म स्वरूप पर ही रहनी चाहिये। उनका इस ड्रामा में यही पार्ट निश्चित है। इसमें किसी का भी कोई दोष नहीं है।ये तो अनादि काल से बना बनाया
बेहद का ड्रामा है।ये सीन 5000 वर्ष के बाद पुनः रिपीट होगा क्योंकि इस सृस्टि चक्र का नियम ही ऐसा है।

✪ उस व्यक्ति से कभी भी ईर्ष्या-द्वेष या मन में नाराजगी आदि नहीं रखनी है।सदा निराकार परमात्मा शिव से उनके लिये शुभ भावना ही रखनी है। साथ ही निराकार परमात्मा शिव से प्रार्थना भी करनी है कि निराकार परमात्मा शिव ! उनको भी सत्यज्ञान की प्राप्ति हो जाये और उनको भी अपना बच्चा बना ले ।

✪ बोलने से आदते नही बदलती।उनको बार-बार उस आदत के लिए तंग नही करें,उनको प्यार दे ,सहयोग दें।वो शक्ति उनको मदद करेगी अपनी आदत को बदलने के लिए लेकिन पहले हम अपनी आदतो पर ध्यान दें।किसी के भी स्वभाव संस्कार को देखकर अंदर परेशान न हो क्योंकि वो उनका व्यक्तित्व है लेकिन मेरा व्यवहार किसके हाथ में है वो मेरे हाथ में है क्योंकि वो मेरा है
मेरा काम है उसको प्यार देना।

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✪ हम अगर परेशान हो गये तो फिर उन्हें कैसे सुधार सकते है? कभी-कभी प्यार से उन्हें सेंटर बुलाये। सेंटर का भोग दे। दूसरे भाइयों से परिचय कराये। सेंटर का वातावरण उन्हें अवश्य पसंद आयेगा और धीरे-धीरे उन्हें कोर्स करा दे।

✪ सब आत्माऐ शांति, प्रेम की प्यासी है। उनमें जरूर परिवर्तन आयेगा ।
लेकिन हमारी अवस्था हिलनी नहीं चाहिए ।हमें धैर्यता से उन्हें बस शांति और प्रेम का दान देना है।

✪ सिर्फ बुरी आदते से जो नुकसान होता है वो न बताकर हमे उन आत्माओ को मोटीवेट करना है आप ये आदते छोड़ सकते है, छोड़ने में हमे उन्हें सहयोग देना है। क्योंकि उन्हें भी पता है हमारी हेल्थ पर इन सब बुरी आदतों का बुरा असर होता है, हम सिर्फ इनसे होने वाले नुकसान का वर्णन करते रहेगें तो उन्हें लगेगा ये मेरी सहायता नहीं कर सकते सिर्फ सुनाने वाले ही है।

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✪ हमें उनको समझाना चाहिये कि इस प्रकार के कार्य से परिवार के परिवार बर्बाद हो जाते हैं। बच्चों का कैरियर भी समाप्त हो जाता है। इसलिये ये सब कार्य उनको छोड़ देने चाहिये।

✪ हमे उनके बारे में कभी बुरा नहीं सोचना है। इन्हें वाइब्रेशन देना और शुभभावना रखनी है।अधिकतर लोग जीवन में कोई समस्या आने के कारण व संगदोष कारण ही बुरी आदतो का भोग बनता है, तो हमे उन्हें समझाना है राजयोग से आप आई हुई समस्या का सामना आसानी से कर सकते है और अच्छे लोगो का संग करो।

✪ राजयोग से आप इन बुरी आदतो को सरलता से छोड़ सकते है। आपको इन आदतो से जो नशा होता है उनसे कई गुना नशा, ख़ुशी योग में मिलती है।

✪ हमें उन्हें दुसरो का उदाहरण देना है, जो निराकार परमात्मा शिव का बनकर राजयोग से, अपनी बुरी आदते छोड़ दी है।हमारे शरीर के निर्माण में chemicals का बहुत बड़ा रोल है। जो हम खाते हैं उसका Reaction भी होता है। जिसका परिणाम अनेक बीमारियां उत्पन्न होना है।

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✪ प्रेम में बहुत शक्ति होती है।प्रेम पत्थर को भी पिघला देता।उन्हें प्यार से समझाते हुए उन्हें उनके अच्छे गुण याद दिलवाने है।जब हम वाणी के द्वारा नहीं समझ पाते तो हम मनसा द्वारा उनके बारे में अच्छा सोचेंगे कि वह अच्छे है आदत को छोड़ देगें।

✪ क्रोध नहीं करना है उनपर वह दया के पात्र है।और उन्हें किसी अच्छे विचार रखने वाली संस्था के पास किसी युक्ति के साथ ले जाया जा सकता है ताकि उनकी सोच पर अच्छा प्रभाव पड़ सके।इसलिए कहा है न एक चुप सौ सुख।

✪ रोज सबेरे जब ये आत्मायें सो रही होती है तब उन्हें इन संकल्पो से चार्ज करिये l हे आत्माओं तुम मूल रूप से शांत और पवित्र हो l इसलिए पवित्र भोजन ही पसंद करती हो l इन संकल्पो को रोज सात बार उनके पास बैठकर दोहराइये।

✪ जो भी उस व्यक्ति का शुभ चिंतक हो,उसे उस व्यक्ति को शराब से होने वाले दुष्परिणामों से अवगत कराना होगा।फिर धीरे-धीरे औषधियों का सहारा लेकर ,उसे अपने साथ राजयोग के अभ्यास में शामिल कर, उसके प्रति सदा पॉजिटिव संकल्प रखने होंगे।

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✪ जो शराब 🍷पीने की आदत छोड़ना चाहते हैं उन्हें अदरक को छीलकर और टुकड़े- टुकड़े कर नमक और नींबू रस डालकर धूप में सुखाकर खिलाने से बहुत जल्दी आदत सुधर जाता है।

✪ शराब 🍷को छुड़ाने के लिए ब्रह्माकुमारीज् सेंटर पर ,होमियोपैथी दवाइयाँ भी मिलती हैं।इनका सेवन परमात्मा की याद में करे।

✪ जो व्यक्ति इन प्रॉब्लम्स (क्रोध,शराब)से आपेही मुक्त होना चाहे तो बहुत ही अच्छा।वह राजयोग के विधि से ,जल्दी ही ठीक हो सकता हैं।लेकिन अगर कोई और उसकी आदते बदलना चाहें, तो थोडा वक़्त लग सकता है।

✪ वैसे ही क्रोध करना और मीट(नॉन-वेज) का सेवन करना,मन की स्थिति से रिलेटेड हैं।जो व्यक्ति क्रोध करता है, वह एक तो उसका संस्कार होता है, या तो वह अपने आप से,किसी कमी-कमजोरियों के कारण खुश नहीं होता है और उसका ग़ुस्सा वह, दुसरों पर क्रोध के रूप में निकालता हैं।

✪ ऐसा करने पर अवश्य ही ,कुछ ही समय में , तथाकथित व्यक्ति के स्वभाव में बदलाव आता नजर आयेगा।उसे मन की शांति और शराब से मन उठता प्रतीत होने लगेगा।वह स्वयं ही आत्मिक शांति महसूस कर सदा के लिए क्रोध मुक्त हो जाएगा।

✪ जब कोई अशांत और असंतुष्ट होता है,तब उस व्यक्ति का मन, नॉन-वेज,फ्राइड फ़ूड,अथवा मीठे पदार्थ,के सेवन को ललचाता हैं।

अगर कोई नॉन वेज (मीट ) खाते हैं तो कैसे समझाये ???

✪ उन्हें धीरे-धीरे चेंज करना है तो जो डेली खाते होंगे तो हफ्ते में एक दिन कुछ स्पेशल डिश बनाकर खिलानी है युक्ति के साथ और धीरे धीरे दिन बढाते जाना है और कभी बहाना बनाकर कहना है कि आज यह नॉन वेज (मीट) मार्किट से नहीं मिला और उसकी जगह पर आपकी मनपसन्द चीज़ बना देती हूँ।

✪ उन्हे युक्ति से बताना है की मीट को खाने से सभी को पाप लगता है जो मारता है, पकाता है और जो खाता है।उन्हें यह बताना है जब किसी जीव को मारा जाता है तो उसे कितनी पीड़ा और दर्द होता है और वह जो दर्द, पीड़ा की जो फीलिंग है उस मीट में होती है जो भी उस नॉन वेज (मीट) को खायेगा उसे भी दुःख की ही फीलिंग होगी।उस नेगेटिव वाइब्रेशन से हमारे अंदर क्रोध आदि विकार बढ़ जाते है।

✪ जिस dead बॉडी को हम शमशान में जला देते है उसी जीव की डेड बॉडी के मॉस को हम खा कर अपने पेट को उस समय शमशानघाट बना लेते है।पेट के अंदर जाकर जब वह सड़ता गलता है तो कितनी और इसके कारण कई बीमारियां पैदा होती है ये विज्ञान द्वारा भी साबित किया जा चुका है।

✪ घर में कोई नॉन-वेज न लाए।घर में खाना, परमात्मा की याद में बनाये अथवा खाएं।इससे घर में सदा पॉजिटिव वायब्रेशन्स फहलते रहेंगे।

✪ सदा याद रहे, कोई व्यक्ति व्यक्तिगत रूप से बुरा नहीं होता।उसकी आदते बुरी होती हैं और प्यार किसी भी व्यक्ति के मन को परिवर्तित करने का सबसे बड़ा साधन हैं।

✪ इस तरह के व्यक्ति स्वयं तो परेशान होते ही हैं साथ ही पूरा परिवार भी उनकी आदतो से प्रभावित होता है l पूरे परिवार का वातावरण नकारात्मक हो जाता है और सभी अशांत रहते हैं इसलिए घर का वातावरण और उनको शांत करना होगा।इसके लिए आपको कुछ अभ्यास करने होगें l क्योंकि ऐसे व्यक्ति न तो सुनते है न ही प्रयास करते हैं।

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ये अभ्यास करें :

✪ मैं आत्मा भृकुटि के मध्य विराजमान चमकती हुई मणी हूँ l मैं शिवबाबा (निराकार परमात्मा शिव) के सामने बैठी हूँ l निराकार परमात्मा शिव की दिव्य शीतलता की किरणे मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं l मैं आत्मा भरपूर होती जा रही हूँ l अब ये किरणे मेरे पूरे सूक्ष्म शरीर में फैल रही हैं और मेरे से होकर उन आत्माओं तक जा रही हैं l ये आत्माएँ और घर का वातावरण शीतल होता जा रहा है l
इसे रोज दिन में तीन बार दस-दस मिनिट करिये l इससे उनमें क्रोध कम होने लगेगा और घर में वातावरण भी शांत और प्रेममय होने लगेगा।

✪ अमृतवेले योग युक्त होकर परमधाम में जाकर उस आत्मा को निराकार परमात्मा शिव के पास इमर्ज करके निराकार परमात्मा शिव की शक्तिया दें,उनको अच्छे vibaration दें, उनको प्यार से कहे की आपने इसे छोड़ सकते हो आप देव कुल की महान आत्मा हो, फिर फील करे की वो इन आदतो को छोड़ते जा रहे हैं।

✪ ब्रह्माकुमारी सेन्टर ही एकमात्र एेसा स्थान जहाँ मनुष्य की बुरी आदतो से छुटकारा दिलाया जा सकता है उन्हे वहाँ ले जाने के लिये प्रेरित करे।उनके लिये योग करे उनकी मन्सा सेवा करे जितना हो सके। मैगजीन मे बहुत अच्छे अच्छे अनुभव आते है उन्हे सुनाये या पढ़ने के लिये दे।

Ashish
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Hello, I'm Ashish Bansal, , an innovative individual with a unique blend of interests and talents. As a spiritual soul with a deep connection to inner peace and wisdom, I find joy in exploring the profound questions of life. My inquisitive nature drives me to constantly seek knowledge, whether through philosophy, meditation, or the teachings of spirituality. In the professional realm, I wear many hats. I'm a content writer, philosopher, YouTuber, and creator, dedicated to crafting meaningful and engaging content that resonates with audiences. My work spans across website development, social media management, and video production, where I help brands and individuals boost their digital presence. But my journey doesn't end there. I'm also a passionate bike rider, finding freedom and inspiration on the open road. As a meditator and teacher, I guide others on their spiritual paths, sharing the insights I've gained through my own experiences. Above all, I'm a Godly student, continually learning and growing in my faith and understanding of the divine. Whether I'm building a brand's online portfolio or exploring the depths of human consciousness, my goal is always the same: to create, inspire, and make a positive impact on the world.

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