वैशाख की पूर्णिमा में जन्मे महात्मा बुद्ध,
धार्मिक नेता, तपस्वी की शिक्षाएं बनातीं शुद्ध।
बुद्ध पूर्णिमा इनके जन्म, ज्ञान, मृत्यु का प्रतीक,
जीवन में एकाग्रता, ज्ञान, आचरण की देता सीख।
सांसारिक दुखों को देख सिद्धार्थ में जगा वैराग,
29 की आयु में किया राज्य, पत्नी, पुत्र का त्याग।
सत्य की खोज के लिए छोड़ा सुख का संसार,
करी कठोर तपस्या, पाया ज्ञान आखिकार।
80 वर्ष तक करते रहे पाली में धर्म प्रचार,
करुणा, क्षमा, दया, इस धर्म के हैं आधार।
बौद्ध, इस्लाम, ईसाई – कल्प वृक्ष की शाखाएं तीन,
लुप्त हुआ बेस आदि सनातन देवी देवता धर्म प्राचीन।

बीज ज्योति बिंदु शिव परमपिता परमात्मा निराकार,
बौद्धी भी ज्योति (लाइट) पर करते बुद्धि एकाग्र।
सतधर्म की स्थापना करने में अब कोई नहीं समर्थ,
परमपिता शिव ब्रह्मा तन द्बवारा बताते सभी अर्थ।
5 तत्वों से पार उनका व हमारा शांति का देश,
वहीँ से परम सितारा शिव आता बदलकर वेश।
कलयुग और सतयुग का संगमयुग सच्ची पूर्णिमा,
ज्ञान सूर्य प्रगटा, बिखेरने ज्ञान की सशक्त अरुणिमा।
कल्याणकारी संगम पर शिव आत्माओं में जगाते लालिमा,
ज्ञान का तीसरा नेत्र जाग्रत कर ले आते सच्ची ज्ञान पूर्णिमा।
Very nice explanation