Home True Gyan कबीर द्वारा 4 राम का वर्णन हैं। इनमे अंतर क्या है?

कबीर द्वारा 4 राम का वर्णन हैं। इनमे अंतर क्या है?

एक राम दशरथ का बेटा, एक राम घट घट में बैठा ! एक राम का सकल पसारा, एक राम त्रिभुवन से न्यारा !! तीन राम को सब कोई धयावे, चतुर्थ राम को मर्म न पावे। चौथा छाड़ि जो पंचम धयावे, कहे कबीर सो हम को पावे।।

4713
Kabir-Quota-TrueGyanTree
तीन राम को सब कोई धयावे, चतुर्थ राम को मर्म न पावे।

एक राम दशरथ का बेटा, एक राम घट घट में बैठा !

एक राम का सकल पसारा, एक राम त्रिभुवन से न्यारा !!

यह दोहा संत कबीर द्वारा लिखा गया है।

इसमें कहा गया है कि तीनों राम का नाम सब लोग लेते हैं, लेकिन चतुर्थ राम का रहस्य कोई नहीं समझ पाता।

अगले पंक्ति में कहा गया है कि जो चौथा राम है, अर्थात परमात्मा, उसका ध्यान करने से हमें सच्ची ज्ञान प्राप्त होती है।

तीन राम को सब कोई धयावे, चतुर्थ राम को मर्म न पावे।

चौथा छाड़ि जो पंचम धयावे, कहे कबीर सो हम को पावे।।

नोट: पांचवा राम इस दोहे के अनुसार कबीर संतों के लिये कर रहे है किन्तु सभी संत भी दुसरे राम के अंतर्गत आते है। अध्यात्मिक रूप में पांचवा कोई राम है ही नहीं , यहाँ पांचवा राम केवल उपमा के तौर पर किया गया है क्योंकि पहले तीन राम तक तो सभी पहुँच गए है लेकिन निराकार चौथा राम को यथार्थ नहीं जान पाने के कारण मूंझ गए है। इसलिए कबीर पांचवे राम की उपमा देकर चोथे राम की महिमा बता रहे है अन्यथा मनुष्य मूंझता ही रहेगा और फिर कोई छठा राम फिर कोई सातवाँ राम को भजेगा।
एक राम दशरथ का बेटा, एक राम घट घट में बैठा !
एक राम का सकल पसारा, एक राम त्रिभुवन से न्यारा !!
तीन राम को सब कोई धयावे, चतुर्थ राम को मर्म न पावे। 
चौथा छाड़ि जो पंचम धयावे, कहे कबीर सो हम को पावे।।

एक दशरथ का राम (देहधारी)

दशरथ का राम  लंका प्रस्थान से पूर्व शिव का आहवाहन (गौर करें शिव लिंग ध्यान किया शंकर का नही अर्थात शिव और शंकर में अंतर है) करते है। अगर खुद राम है तो किसको याद कर रहें हैं।

आमतौर पर कोई सुभ कार्य से पूर्व अपने माता पिता से आशीर्वाद लिया जाता है अर्थात उस निराकार राम को याद किया जो उनका पिता है।

दशरथ पुत्र राम की महिमा तुलसीदास ने भक्तिमार्ग अपनाकर 14 वीं शताब्दी में की कर सगुण भक्ति का प्रचार किया।

एक प्रकृति में लेटा राम ( 5 तत्व)

  • इसी निराकार राम के कुछ लक्षण जो हम देखते है जिसे हर कोई स्वीकार करता-
  • हम राम राम करते है
  • राम राम के 108 की माला जपते है
  • राम को कण कण में कह देते है
  • राम सबसे न्यारा प्यारा है
  • आदि महिमा केवल उस निराकार राम की है जिसे हम भूल चुके है। यह निराकार राम  ही वह परम शक्ति है जो सृष्टि का कर्ता , पालन और विनाश क्रमशः ब्रह्मा , विष्णु ओर शंकर द्वारा कराता है।
 निराकार राम की महिमा कबीर अपने दोहों में की है वे निर्गुण का मार्ग अपनाते है।

एक सबके मन भाया राम (आत्मा)

आत्मा रूपी राम हर किसी अंदर राम बसा है ऐसा कहते है लेकिन इस आत्मा रूपी राम को दशरथ पुत्र देहधारी मानने से सभी स्वीकार नही करते , (यदि करते है, दसरथ राम तो एक हनुमान के सीने में ही है तो हम सब तो हनुमान नही)।

हम स्वीकार उस निराकार राम को ही करते है। जो निराकार ज्योतिर्बिन्दु प्रकाशमय है। हम सभी आत्मा भी इस ज्योतिर्बिन्दु परमात्मा राम के समान ज्योतिर्बिन्दु ही है।

इसकी महिमा तुलसीदास ओर कबीर दोनो ने ही की है 

एक सबसे न्यारा राम (परमात्मा)

प्रकति का राम भगवान को कण कण में व्याप्त कहते है तो वो दशरथ पुत्र राम तो नही क्योकि वो तो देहधारी है तो जरूर ये महिमा किसी निराकार की ही होगी। 

परमात्मा

ईश्वर को परमात्मा कहा जाता है, या अधिक सटीकता से कहा जाए कि परमात्मा को ही भगवान, निर्माता सर्वशक्तिमान के रूप में जाना जाता है l

इसका अर्थ है कि वह सभी आत्माओं में सर्वोच्च आत्मा है। परमात्मा हम सर्वा आत्माओ के पिता (father)है l

आत्माओं की तरह, भगवान प्रकाश का ही एक सूक्ष्म बिंदु है, लेकिन मानव आत्माओं के विपरीत, वो आत्मा जन्म और मृत्यु के चक्र से परे है, अर्थात चक्र मे नही आते और कर्मों के फल – सुख वा दुख की अनुभूति नही करते, अर्थात वो अकर्ता है, सत्य है।

भगवान सभी मानव आत्माओं का सर्वोच्च पिता, माता, शिक्षक, सखा और सतगुरु है।

हम सभी को केवल हमारे कठिन समय में ही याद है, यह हमारे भीतर ऐसा अंतर्निहित है।

हम परमपिता को अपने दुख के समय मे ही याद करते है, यह हुमारे मन बुद्धि मे इतने तक बैठा हुआ है की वो ही हमारा शांति दाता है l

निराकार भगवान के प्रतिनिधियों

निराकार होने के नाते, भगवान को कई धर्मों में अंडाकार (अंडे के आकर) के पत्थर वा प्रकाश के रूप मे दर्शाया जाता है।

हिंदू धर्म

हिंदू धर्म में, भगवान की शिवलिंगम या ज्योतिर्लिंगम नामक एक अंडाकार के पत्थर के रूप में पूजा की जाती है, जिसका अर्थ है शिव का प्रतीक या प्रकाश का प्रतीक।

शिव अर्थात कल्याणकारी

इस्लाम

इस्लाम मे एक अंडाकार आकार के काले पत्थर का सम्मान करते हैं जिसे हजर-ए-असवद (पवित्र पत्थर) कहा जाता है, जिसे मक्का में ग्रैंड मस्जिद में काबा में रखा गया है।

ईसाई धर्म

जीसस क्राइस्ट (ईसाई धर्म के धरमपिता) ने कहा है कि ‘GOD is light’ (ईश्वर प्रकाश स्वरूप है)।

महात्मा बुद्ध

महात्मा बुद्ध ने गहन ध्यान शुरू किया और जन्म और मृत्यु के चक्र से परे भगवान का आध्यात्मिक निराकार अविनाशी अस्तित्व पाया।

गुरु नानक

गुरु नानक ने परमात्मा की महिमा गयी है – ”वो सत्त च्चित, आनंद स्वरूप, अकाल मूरत है।”

लगभग सभी धर्मों के अनुयायी परमात्मा को ‘निराकार’ (Incorporeal) मानते है | 

परन्तु इस शब्द से वे यह अर्थ लेते है कि परमात्मा का कोई भी आकार (रूप) नहीं है |

अब परमपिता परमात्मा शिव कहते है कि ऐसा मानना भूल है |

वास्तव में ‘निराकार’ का अर्थ है कि परमपिता ‘साकार’ नहीं है, अर्थात न तो उनका मनुष्यों जैसा स्थूल-शारीरिक आकार है और न देवताओं-जैसा सूक्ष्म शारीरिक आकार है बल्कि उनका रूप अशरीरी है और ज्योति-बिन्दु के समान है |

‘बिन्दु’ को तो ‘निराकार’ ही कहेंगे |

अत: यह एक आश्चर्य जनक बात है कि परमपिता परमात्मा है तो सूक्ष्मतिसूक्ष्म, एक ज्योति-कण है परन्तु आज लोग प्राय: कहते है कि वह कण-कण में है |

लेकिन परमात्मा तो सिर्फ़ अपने परमधाम मे व्याप अर्थात रहते है l

परमपिता परमात्मा महिमा

परमपिता परमात्मा शिव ही ज्ञान के सागर, शान्ति के सागर, आनन्द ए सागर और प्रेम के सागर है |

वह ही पतितों को पावन करने वाले, मनुष्यमात्र को शांतिधाम तथा सुखधाम की राह दिखाने वाले (Guide), विकारों तथा काल के बन्धन से छुड़ाने वाले (Liberator) और सब प्राणियों पर रहम करने वाले (Merciful) है |

मनुष्य मात्र को मुक्ति और जीवनमुक्ति का अथवा गति और सद्गति का वरदान देने वाले भी एक-मात्र वही है |
Ashish
Hello, I'm Ashish Bansal, , an innovative individual with a unique blend of interests and talents. As a spiritual soul with a deep connection to inner peace and wisdom, I find joy in exploring the profound questions of life. My inquisitive nature drives me to constantly seek knowledge, whether through philosophy, meditation, or the teachings of spirituality. In the professional realm, I wear many hats. I'm a content writer, philosopher, YouTuber, and creator, dedicated to crafting meaningful and engaging content that resonates with audiences. My work spans across website development, social media management, and video production, where I help brands and individuals boost their digital presence. But my journey doesn't end there. I'm also a passionate bike rider, finding freedom and inspiration on the open road. As a meditator and teacher, I guide others on their spiritual paths, sharing the insights I've gained through my own experiences. Above all, I'm a Godly student, continually learning and growing in my faith and understanding of the divine. Whether I'm building a brand's online portfolio or exploring the depths of human consciousness, my goal is always the same: to create, inspire, and make a positive impact on the world.