तीन पिताओं का रहस्य (अंतर्राष्ट्रीय पिता दिवस पर विशेष कविता)

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पिता है ईश्वर की एक श्रेष्ठ व नेक कलाकृति
संतान की हरेक स्वप्न को मिलती स्वीकृति
कड़ी मेहनत से करते हर सपने को पूरा
संतान के ख्वाब को रहने न देते अधूरा

मात-पिता का साया बेशकीमती उपहार
दुःख झेलकर संतान का जीवन देते संवार
संतान निकले उनसे भी आगे यही शुभ भावना
मार्गदर्शन कर कराते हर परिस्थिति का सामना

आज्ञाकारी संतान ही बनती वर्से की मालिक
पालन-पोषण व प्यार बनाता प्यारा बालक
जो करते निःस्वार्थ, निष्काम सेवा व प्यार
मात-पिता, शिक्षक, सतगुरु बन लुटाते दुलार

वही हैं निराकार परमपिता परमात्मा लुटाते स्नेह
परमधाम से अवतरित होकर देते 3 पिता का परिचय
हम निराकार आत्माओं के पिता शिव अति मधुरम
प्यार के सागर परलौकिक पिता सत्यम, शिवम् सुन्दरम

पवित्रता के सागर शिव से मिलता बेहद का वर्सा
जब वो करते अलौकिक पिता ब्रह्मा द्वारा ज्ञान वर्षा
लौकिक पिता की मत हमें दिखाती सांसारिक राह
परमपिता पूर्ण करते मुक्ति-जीवन मुक्ति की चाह

अब इन अंतिम घड़ियों में शिव से ही रखें सच्ची प्रीत
वही हमसे निभाते हर सम्बन्ध व सुख की सच्ची रीत


बीके योगेश कुमार, नई दिल्ली