- अगर आप किसी की घर कीएक हरा-भरा तुलसी का पौधा अपने घर ले जाते है अपने आँगन को में लगाने के लिए ये जानते हुए की पौधा है|
- इसमें कीट भी लग सकते है(बुराइयाँ या कमियाँ)तो आपका ये कर्तव्य है की आप उसका ख़याल खुद से भी ज़्यादा रखे..
- प्रेम रूपी पानी ,अपना ख़याल रूपी छाँव देते रहे ओर उनमें से कुछ पत्त्तो में कुछ कीट लग जाते है अर्थात् (दोष ,बुराइयाँ,कमियाँ ) तो उन पत्तों को निकाल दो …
- इसका अर्थ ये नही होगा को हम पूरा पौधा ही हटा देंगे अपने आँगन से .. कभी-कभी आपका कोई घर का छोटा बच्चा उसे नादानी में नोच देता है
- तो उसे समझाए ओर बचाव करे ना की उसके प्रेम वश आ कर ओर उसके कुछ समय के खेल की ख़ुशी के लिए उसकी हंसी के लिए उसका साथ दे ओर उसे मूर्छित कर उस मासूम पोधे का अस्तित्व ही मिटा दे..
- कोशिश करे की उसे कभी सूखने ना दे..जब तक वो हरी-भरी रह सकती है उसे खिलखिलाने दे।
- मूर्छित ना करे उसे ..क्यू की उसे ..आप …किसी के आँगन से लाए है ..वो खुद चल कर नही आती …
- याद रखे की पौधे को आप ज़रूर मिटा सकते है लेकिन उसमें पड़ा बीज को उगने से आप नही बचा सकते वो जहाँ होगा उग जाएगा ओर पुनः तुलसी रूप ले लेगा..
- उसका कुछ नही जाएगा लेकिन उसको सुखाने का ओर मूर्छित करने का दोष आपको ज़रूर लगेगा क्यूँ की आपने…..
- इस अर्थ को जो समझा ओर निभा रहा है वही अपने अपने घर में सच्ची तुलसी पूजा कर रहा है ओर उसी की पूजा माँ तुलसी स्वीकार कर रही है…
- आशा है सबके आँगन की तुलसियाँ यूँ ही खिलखिला रही होंगी
- और फिर आप उसे पूजते है तो वही आपकी पूजा भी स्वीकार रही होंगी
Thanks for sharing beautiful thoughts about caring Tulsi plant. The same way, we( Soul) should keep away from all vices and be aware about ourselves with knowing true knowledge about soul and God and follow the right path guided by GOD and fulfil ourselves with GOD’s virtues and power.