E.55 सत्रहवें अध्याय: तीन प्रकार की पूजा, भोजन, तपस्या व दान

देवतायें तो बेहोश होने लगे हैं ! उस समय कहा जाता है कि शिवजी आते हैं और आकर सारा विष पी लेते हैं ! सारा विष ग्रहण करने के बाद पुनः सागर मंथन आरम्भ होता है ! धीरे-धीरे एक-एक चीज़ निकलती जाती है !