E.5 महाभारत काल पुनः आ चूका है ?

वर्तमान में भी वही महाभारत काल चल रहा है ! आज हर घर में यही महाभारत वाली स्थिति है जहाँ भाई-भाई , पिता-पुत्र इकट्ठा नहीं रह सकते , इस तरह से परिवार टूटने लगते हैं !

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गीता ज्ञान का आध्यात्मिक रहस्य (पहला और दूसरा अध्याय)

“गीता-ज्ञान, एक मनोयुद्ध या हिंसक युद्ध” 

The Great Geeta Episode No• 005

5b.Bhagavad Gita Art Gallery Bewildered by false ego strength pride lust and anger
  • एक परिवारिक स्थिति में कौरव और पांडव एक परिवार के थे !
  • आज की दुनिया में भी यह देखा जाता है कि दिन-प्रतिदिन परिवार टूटते जा रहे हैं !
  • छोटे-छोटे परिवार होने लगे हैं ! पहले जिस तरीके से संयुक्त्त परिवार में रहते थे , आज उनमें इकट्ठा रहने की शक्त्ति नहीं है इसलिए आज इतने परिवार टूटते जा रहे हैं !

  • परिवार में माता पिता जिनके मोह के कारण ज्ञान चक्षु बंद हो जाते हैं , धर्म तथा ज्ञानर्जन करने वाले लोगों को पाँच गाँव तो छोड़ों , सुई की नोक के बराबर भी जगह देने को तैयार नहीं होते हैं !
  • भावार्थ यह है कि न वे अपने मन में स्थान देना चाहते हैं और न ही उसको सुख से रहने देना चाहते हैं !
  • अभिमान तो इतना है कि चाहे कुल का नाश हो जाए तो भी घृणा , द्वेष , क्रोध, अन्याय , प्रतिशोध की भावना को वे छोड़ना नहीं चाहते हैं !
  • इस तरह पारिवारिक समस्यायें सिर्फ उस समय ( महाभारत के समय ) थीं ऐसा नहीं है !
  • वर्तमान में भी वही महाभारत काल चल रहा है ! इस समय में भी परिवार के अन्दर किसी न किसी रूप से ये समस्या आती ही रहती है !
  • इसलिए ऐसी समस्याओं को हल करने के लिए जिस समाधान की आवश्यकता है , वह भी श्रीमदभगवदगीता से मिलती है !
  • यह वही महाभारत का समय है , ऐसा हम क्यों कहते हैं ? क्योंकि जैसे महाभारत के अन्तिम आध्याय में ये बात लिखी गई है कि जब घर-घर में महाभारत होगा तब समझना कि महाभारत काल पुनः आ गया है !
  • आज हर घर में यही महाभारत वाली स्थिति है जहाँ भाई-भाई , पिता-पुत्र इकट्ठा नहीं रह सकते , इस तरह से परिवार टूटने लगते हैं !
  • मोह के कारण , जब इंसान के ज्ञान चक्षु-बंद हो जाते हैं तब वो समझ नहीं पाता है कि उसको क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए ? क्या सही है और क्या गलत है ? वह भी समझ में नहीं आता है !