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E.54 अध्याय सोलहवाँ: दैवी और आसुरी स्वभाव का प्रभाव

देवतायें तो बेहोश होने लगे हैं ! उस समय कहा जाता है कि शिवजी आते हैं और आकर सारा विष पी लेते हैं ! सारा विष ग्रहण करने के बाद पुनः सागर मंथन आरम्भ होता है ! धीरे-धीरे एक-एक चीज़ निकलती जाती है !

E.53 परम पुरूष

देवतायें तो बेहोश होने लगे हैं ! उस समय कहा जाता है कि शिवजी आते हैं और आकर सारा विष पी लेते हैं ! सारा विष ग्रहण करने के बाद पुनः सागर मंथन आरम्भ होता है ! धीरे-धीरे एक-एक चीज़ निकलती जाती है !

E.52 संसार एक वृक्ष है

देवतायें तो बेहोश होने लगे हैं ! उस समय कहा जाता है कि शिवजी आते हैं और आकर सारा विष पी लेते हैं ! सारा विष ग्रहण करने के बाद पुनः सागर मंथन आरम्भ होता है ! धीरे-धीरे एक-एक चीज़ निकलती जाती है !

E.51 आत्मानुभूति, स्रष्टि चक्र व भगवन द्वारा स्वयं का यथार्थ् ज्ञान

देवतायें तो बेहोश होने लगे हैं ! उस समय कहा जाता है कि शिवजी आते हैं और आकर सारा विष पी लेते हैं ! सारा विष ग्रहण करने के बाद पुनः सागर मंथन आरम्भ होता है ! धीरे-धीरे एक-एक चीज़ निकलती जाती है !

E.50 संस्कार

देवतायें तो बेहोश होने लगे हैं ! उस समय कहा जाता है कि शिवजी आते हैं और आकर सारा विष पी लेते हैं ! सारा विष ग्रहण करने के बाद पुनः सागर मंथन आरम्भ होता है ! धीरे-धीरे एक-एक चीज़ निकलती जाती है !

E.49 बारहवें अध्याय में भक्त्ति-योग

देवतायें तो बेहोश होने लगे हैं ! उस समय कहा जाता है कि शिवजी आते हैं और आकर सारा विष पी लेते हैं ! सारा विष ग्रहण करने के बाद पुनः सागर मंथन आरम्भ होता है ! धीरे-धीरे एक-एक चीज़ निकलती जाती है !

E.48 परमात्मा का कर्तव्य

देवतायें तो बेहोश होने लगे हैं ! उस समय कहा जाता है कि शिवजी आते हैं और आकर सारा विष पी लेते हैं ! सारा विष ग्रहण करने के बाद पुनः सागर मंथन आरम्भ होता है ! धीरे-धीरे एक-एक चीज़ निकलती जाती है !

परमात्मा☝का परिचय

देवतायें तो बेहोश होने लगे हैं ! उस समय कहा जाता है कि शिवजी आते हैं और आकर सारा विष पी लेते हैं ! सारा विष ग्रहण करने के बाद पुनः सागर मंथन आरम्भ होता है ! धीरे-धीरे एक-एक चीज़ निकलती जाती है !
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