हमारे कामगार है राष्ट्र के सच्चे सूत्रधार
जीवनपर्यन्त परिश्रमी, उन्नति का आधार।
यही हैं भारत माँ के सच्चे योद्धे व सपूत,
गगनचुम्बी भवन हैं इनके तप का सबूत।
अथक परिश्रम से करते सपनों को साकार,
इन्हें मिले आत्म सम्बल व ख़ुशी, सदाबहार।
किसान भी हैं हमारे सुखदाई जीवनदाता,
खेती-बाड़ी करके कहलाते सच्चे अन्नदाता।
इनकी साधारणता इनके सौभाग्य की निशानी,
भगवान् भी इनसे लिखवाते विश्व की गौरव-कहानी।
श्रम व कृषि में यदि योग को कर दें शामिल,
तभी हमारे जीवन दाता को मिलेगी मंज़िल।
जब सभी वर्गों की होने लगती दुर्दशा अति,
तभी अवतरित होते परमपिता करने सद्गति।
बीजरूप परमपिता शिव देते कल्प वृक्ष का ज्ञान,
सतयुगी सृष्टि की रचना हेतु कराते ज्ञानामृत का पान।
ब्रह्मा द्वारा ब्राह्मण धर्म स्थापन कर, देते स्नेह रूपी जल,
श्रेष्ठ कर्मों की खेती द्वारा आओ जीवन कर लें सफल।
— बीके योगेश कुमार, नई दिल्ली