ये शब्द, भी कितना अनोखा शब्द है ना .. आज ‘शब्द’ के लिए भी कुछ शब्द लिखते है! एक -एक अक्षर से मिला शब्द पूरा संसार का काम चलाते है..शब्दों में शब्दों की व्याख्या कुछ यूँ समझ आती है…


किसी वस्तु,व्यक्ति के भाव या विचारो को व्यक्त करने की अभिव्यक्ति या हमारी जिह्वा द्वारा निकला गया वाक्यांश शब्द कहलाता है..
वैसे शब्द एक ऐसा शब्द है जिसमें कोई मात्रा नही होती है लेकिन शब्दों की व्याख्या अलग-अलग लोगों में अलग-अलग -अलग मात्रा में होती है.. शब्द इतना हल्का होता है जिसका कोई वजन नही होता है ।और शब्द इतना भारी भी होता है की जिसे तोला भी जाता है.. बोली का या शब्दों का भी हृदय रूपी तराज़ू होता है.. कहते है ना तीर ने निकला वाण ओर मुख से निकले शब्द कभी वापस। नही आते है ..


इसलिए कबीर दास जी ने भी कहा है की ..

बोली एक अनमोल है, जो कोई बोलै जानि, हिये तराजू तौलि के, तब मुख बाहर आनि।


अर्थ : यदि कोई सही तरीके से बोलना जानता है तो उसे पता है कि वाणी एक अमूल्य रत्न है। इसलिए वह ह्रदय के तराजू में तोलकर ही उसे मुंह से बाहर आने देता है!

इसलिए कहते है की कुछ भी बोलने से पहले सोच -विचार ज़रूर करना चाहिए क्यू की पता नही कब हमारी जिह्वा पर माँ सरस्वती विराजित हो ओर हमारी कही गई बात सही सिद्ध हो जाए.।

शब्द प्रेम, नफ़रत शांति क्रोध, घृणा, इच्छा, लज्जा, सुख, दुःख, आनंद, ख़ुशी ऐसे इत्यादि कई भावो को जगाने कि शक्ति है।
एक शब्द किसी को जीवन दे सकता है तों एक शब्द किसी का जीवन ले भी सकता है..
शब्द के बोल भी होते है और कुछ शब्द मौन होते है!
शब्द हस कर बोलो तो ख़ुशी बन जाते, रो कर बोलो तो दुखी कर जाते, तेज आवाज़ में बोलो तो ये चिल्लाना हो जाते ओर धीरे स्वर में बोलो तो ये गपशप कहलाते ।..

कभी मंदिर मे शब्द आरती बन जाते मज्जिद में नमाज़ कहलाते।

गुरुद्वारे में अरदास हो जाते तो..चर्च में जा के प्रेयर बन जाते..।


कभी व्यर्थ ही बोलो तो बकवास बन जाते ,तो कभी कुछ ख़ास काम की बात हो जाते ।
किसी को बुरा कहो तो चुग़ली बन जाते ,ओर अच्छाई व्यक्त कर दो तो तारीफ़ कहलाते।
कभी-कभी यें ताना कहलाते कभी ये भाषण भी बन जाते


कभी शांति देकर जाते तो कभी इस चंचल मन को अशांत करके भी है जाते।
किसी की लिए संदेश तो कही उपदेश, तो कही पर ये धर्म आदेश बन जाते ।
कभी ये सवाल कहलाते, फिर उसका ही जवाब बन जाते तो कभी कभी ये बवाल हो जाते है
कभी यें परामर्श की तरह ,तो कभी ये सलहा कहलाते
कभी ये कारण तो कभी निवारण, कभी -कभी तो गाली -गलौच हो जाते..
कभी सत्य ओर ओर झूठ बन जाते, ओर कभी -कभी बातें बन जाते।
किताबो मे भी हुनर दिखाते, कभी व्याकरण तो कभी क़ानून बन के पाठ पढ़ाते ..।
कभी कभी ये मंत्र हो जाते कभी किसी का तंत्र कहलाते
प्रार्थना बनके भी लहराते, दुआ कभी फिर ये कहलाते।

किसी का कारण, कही निवारण ,किसी का मन ये जोड़े है
अच्छा बुरा सब ये कर जाते फिर कितनो के मन तोड़े है।

कभी विज्ञापन, तो कभी ये ज्ञापन कभी पासवर्ड कहलाते है
शब्दों को शब्दों मे पिरो कर सब कुछ यही समझाते है
इस तरह शब्दों को जितने शब्दों में व्यक्त किया जाए कम ही है ..इनकी व्याख्या असीम है
शब्द हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखते है शब्द सिर्फ़ बोले नही जाते कुछ शब्द मौन भी होते है जिसे व्यक्त नही किया जाता हमारे हाव-भाव भी कुछ बातों को समझा देते देते..


जैसे

एक शिक्षिक या शिक्षक जब क्लास में पढ़ाते है ओर यदि बच्चे शोर करते है तो तो टीचर बच्चों को पहले प्यार से समझाते है बोल के की बेटा मस्ती मत करिए..


कई बार कहने पर भी बच्चा ना माने तो फिर —उसी बात को शब्द को मौन करके समझदेते है सिर्फ़ किसी एक बच्चे का थोड़ा ग़ुस्से में तेज़ी से नाम ले के.उसे बिना पलके झपकाए 1 मिनिट ग़ुस्से से देखना। बिल्कुल चुप रह कर । फिर क्या बस पूरी क्लास चुप..!


अर्थात् बिना कुछ कहे भी शब्दों को बोला जा सकता है कुछ शब्द होते बोल कर काम नही करते वह मौन हो कर काम कर जाते है..
शब्द ऐसी व्याख्या है हो कुछ ना बोल कर भी बहुत कुछ बोल जाते है। ..जैसे अभी आप ये लेख पढ़ रहे है ये लिखित रूप में है अर्थात् मौन है
पर भी लेख बहुत कुछ बोल रहे है..है ना?
शब्दों से हम किसी को आकर्षण भी कर सकते है ओर शब्द
नफ़रत का पत्र भी बना देते है शब्दों में बहुत ताक़त होती है।

क्यूँकि ..
शब्द से ख़ुशी शब्द से ग़म ,शब्द से पीड़ा शब्द से मरहम ।

Words energy

शब्द रचे जाते हैं, शब्द गढ़े जाते हैं, शब्द मढ़े जाते हैं, शब्द लिखे जाते हैं,
इस प्रकार
शब्द बनते हैं, शब्द संवरते हैं, शब्द सुधरते हैं, शब्द निखरते हैं,
इतना होने के बाद भी
शब्द चुभते हैं, शब्द बिकते हैं, शब्द रूठते हैं, शब्द घाव देते हैं,
परन्तु
शब्द कभी मरते नहीं, शब्द कभी थकते नहीं, शब्द कभी रुकते नहीं

अतएव
शब्दों से खेले नहीं, बिन सोचे बोले नहीं,
शब्दों को मान दें, शब्दों को आत्मसात करें
क्योंकि
शब्द अनमोल हैं, ज़ुबाँ से निकले बोल हैं, शब्दों में धार होती हैं, शब्दों की महिमा अपार होती हैं।

Harshi
मै धर्म व अध्यात्म की कड़ी, ईश्वरीय मत व प्रेरणा के अधीन हूँ। निरक्षर को शिक्षा देना व अध्यात्म के प्रति जागरूक करना है इसलिए 15 वर्षों से शिक्षिका हूँ। जीवन का उद्देश समाज सेवा एवं अध्यात्म सेवा है इसी को मै अपना परमसौभाग्य मानती हूँ।