भाईजी की कुछ विशेषताएं
- भ्राता जगदीश जी का जीवन एकदम सादा था ! वह बहुत साधारण वस्त्र पहनते थे और सुई-धागा साथ रखते थे, ताकि अगर फट जाए तो उसकी उसी समय सिलाई कर सकें !
- भाई जी समय के बहुत पाबन्द थे ! जो समय फिक्स होता था, उसी समय पहुँच जाते थे ! यहाँ तक कि वो अमृतवेले योग के समय फिक्स टाइम पर ही पहुँच जाते थे !
- सेवा, सेवा और सेवा – सेवा के लिए वो अपने शरीर का भी ध्यान नहीं रखते थे ! अपने लिए, वह जूस तक भी नहीं पीते थे !
- माताओं को विशेष क्लास और ज्ञान समझाने के लिए प्रशिक्षण देते थे !
- दिल्ली के प्रथम ब्रह्मा कुमारी आश्रम (कमला नगर) खोलने के आप ही निमित्त बने !
- आप ज्ञान का भंडार थे – ईश्वरीय साहित्य की उनके द्वारा रचित 200 से अधिक पुस्तकें इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण हैं ! वो ज्ञान की देवी जगदम्बा सरस्वती को ज्ञान की किसी भी बात के 10 फायदे उँगलियों पर बता देते थे !
- वह समय व्यर्थ नहीं होने देते थे !
- इकॉनमी के अवतार थे – सेवा के लिए जो उन्हें 2 आने मिलते थे, वह उसे भी बचा लेते थे और पैदल जाते हुए रास्ते में आत्माओं को बाबा का सन्देश देते हुए चलते थे !
- वह सत्य को साफ़ शब्दों में कह देते थे !
- सेवा के लिए जब वह गाडी में कहीं जा रहे हों और गाड़ी में जगह हो हों और बीके भाई बहनों को भी वहीँ जाना हो तो वह उन्हें भी गाड़ी में बिठा देते थे !
- अगर सेंटर में कोई बहन, किसी बड़ी बहन की बात को बुरा मान जाती तो उसे स्वयं भोजन की गिट्टी खिलाकर मना लेते थे !
- अगर भाई-बहन बीमारी के कारण क्लास में नहीं आये हों तो उनके अन्दर यह भावना रहती थी कि उन भाई बहनों को प्रसाद ज़रूर मिले चाहे एक टुकड़ा ही क्यों न हो !
- संस्था की विंग्स की सेवा आरम्भ करने के लिए आप ही निमित्त बने !
- आप संस्था मासिक पत्रिकाओं ज्ञानामृत, द वर्ल्ड रिन्यूअल और प्यूरिटी के प्रधान संपादक थे !
- आप संस्था के प्रमुख प्रवक्ता थे !
- आपने कई बार विदेश सेवा के द्वारा संस्था का प्रतिनिधित्व किया और शानदार ईश्वरीय सेवा के निमित्त बने !
Thanks bhai ji for sharing inspiring story.
ॐ Shanti